बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एक बार फिर से बीजेपी के साथ जाने की अटकलें हैं। सूत्रों के अनुसार, एक-दो दिनों में बिहार में एनडीए की सरकार बन सकती है। नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने रहेंगे, जबकि बीजेपी के कोटे से दो उप-मुख्यमंत्री बनाए जाएंगे। राज्य में इस समय जेडीयू, आरजेडी, कांग्रेस और वाम दलों का महागठबंधन बना हुआ है, जिसका नेतृत्व नीतीश कर रहे हैं। वहीं, डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव हैं। एनडीए में जेडीयू की फिर से वापसी इंडिया अलायंस के लिए बड़ा झटका मानी जा रही है। यदि नीतीश फिर से बीजेपी के साथ जाते हैं, तो राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी गठबंधन को बिहार में मुश्किलें हो सकती हैं। हालांकि, कुछ दिनों पहले तक विपक्ष के साथ दिखने वाले नीतीश के साथ अचानक ऐसा क्या हुआ, जिसकी वजह से उनके फिर से पाला बदलने के कयास लगाए जा रहे हैं।
‘एनडीटीवी’ ने नीतीश कुमार के करीबी नेता के हवाले से बताया है कि 13 जनवरी को हुई इंडिया गठबंधन की बैठक नीतीश कुमार के लिए टर्निंग प्वाइंट थी। इसके बाद ही उन्होंने विपक्षी गठबंधन से दूर जाने का फैसला कर लिया था। सूत्रों के अनुसार, उस बैठक में सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने नीतीश कुमार का नाम संयोजक पद के लिए प्रस्तावित किया था, जिस पर वहां मौजूद लालू यादव और शरद पवार समेत अन्य नेताओं ने अपना समर्थन दे दिया था। हालांकि, इस बीच राहुल गांधी ने बीच में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि इस फैसले के लिए अभी थोड़ा इंतजार करना होगा, क्योंकि टीएमसी चीफ और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी को आपत्ति है।
सूत्रों के अनुसार, इस दौरान तेजस्वी यादव ने भी कहा कि ममता बनर्जी मीटिंग में नहीं हैं और ऐसे में फैसला लेने के लिए उनकी सहमति ही आखिरी नहीं होनी चाहिए, क्योंकि संयोजक पद के लिए बहुमत नीतीश के पक्ष में है। हालांकि, इस दौरान सोनिया गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी बीच में राहुल गांधी को नहीं टोका और न कुछ कहा।
नीतीश कुमार के करीबी सूत्रों ने बताया कि इस घटना के दौरान ही नीतीश कुमार को आभास हो गया कि मोदी को सत्ता से हटाने का उद्देश्य वे हासिल नहीं कर पाएंगे। उनके करीबी नेता ने कहा, ”इसके बाद उन्होंने फैसला किया कि यदि आप उन्हें (पीएम मोदी) हरा नहीं सकते, तो उनके साथ शामिल हो जाएं।” बैठक में हुई इस घटना को लेकर नीतीश कुमार को लगने लगा कि राहुल गांधी ने ममता बनर्जी को मनाने के बजाए या उन्हें समर्थन में लाने की कोशिश करने के बजाए, उनके नाम का हवाला देकर उन्हें अपमानित करने का प्रयास किया।
बिहार में सत्तारूढ़ महागठबंधन में दरार की अटकलों के बीच जनता दल यूनाइटेड (जदयू) अध्यक्ष एवं राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शुक्रवार को यहां राजभवन में आयोजित जलपान समारोह में शामिल हुए जबकि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता एवं उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव तथा उनकी पार्टी के अधिकांश नेता अनुपस्थित रहे। समारोह के दौरान राजभवन में नीतीश कुमार के बगल वाली कुर्सी पर पहले उपमुख्यमंत्री की पर्ची लगायी गई थी, लेकिन बाद में उसे हटाकर उस कुर्सी पर जद (यू) के वरिष्ठ नेता एवं राज्य के मंत्री अशोक कुमार चौधरी बैठ गए। वहीं चौधरी के बगल में बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विजय कुमार सिन्हा बैठे और वह नीतीश कुमार के साथ वार्तालाप करते हुए देखे गए।
गणतंत्र दिवस के अवसर पर राजभवन में जलपान के आयोजन की पुरानी परंपरा रही है। हालांकि शिक्षा मंत्री एवं राष्ट्रीय जनता दल (राजद) राष्ट्रीय महासचिव आलोक कुमार मेहता राजभवन पहुंचे थे लेकिन तेजस्वी यादव और विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी सहित पार्टी के कई अन्य नेता इसमें शामिल नहीं हुए। नीतीश कुमार से जब समारोह में तेजस्वी यादव की अनुपस्थिति के बारे में पूछा गया तो उन्होंने संक्षिप्त जवाब देते हुए कहा कि ”जो नहीं आए उन्हें पूछिए।”
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