समस्तीपुर Town

नजर हर खबर पर…

PoliticsBiharNEWS

RJD का कभी डाउन तो कभी अप गियर लगा, ग्राफ गिरा तो लालू ने पार्टी को ऐसे संभाला…

IMG 20231027 WA0021

यहां क्लिक कर हमसे व्हाट्सएप पर जुड़े 

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) का गठन करीब ढा़ई दशक पहले हुआ। लालू प्रसाद यादव ने जनता दल से अलग होकर आरजेडी का गठन किया था। पार्टी बनने के बाद से इसके प्रदर्शन में उतार-चढ़ाव रहा है। वैसे, इसे भी बिहार में कभी अपने बूते बहुमत हासिल नहीं हुआ। 2005 के बाद आरजेडी का ग्राफ गिरता गया। लेकिन 2015 में महागठबंधन का हिस्सा बनने के बाद इसका ग्राफ चढ़ा। अभी यह बिहार की सबसे बड़ी पार्टी है।

जनता दल से अलग होकर लालू प्रसाद यादव ने 5 जुलाई 1997 को आरजेडी का गठन किया था। दो साल पहले 1995 के विधानसभा चुनाव में बिहार की कुल 324 सीटों में जनता दल को 164 सीटों पर जीत मिली थी। पहली और अंतिम बार जनता दल ने बहुमत की सरकार बनाई थी। 324 विधानसभा सीटों में 163 सीटें सरकार बनाने के लिए जरूरी थीं।

IMG 20240101 WA0037 01

IMG 20230604 105636 460

1997 में आरजेडी के गठन होने और जनता दल से शरद गुट के अलग होने पर राजद के मात्र 137 विधायक सदन में रह गए। झारखंड मुक्ति मोर्चा और वामदलों के सहयोग से आरजेडी ने सरकार को बचा लिया। वहीं, राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के जेल जाने पर राबड़ी देवी राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं और पार्टी की सरकार कायम रही। इस दौरान लालू आरजेडी के अध्यक्ष बने रहे। साल 2000 के विधानसभा चुनाव में आरजेडी को मात्र 124 सीटें मिलीं। तब, कांग्रेस ने सरकार में शामिल होने का निर्णय लिया और वाम दल एवं अन्य के बाहरी समर्थन से पुन: राबड़ी देवी मुख्यमंत्री बनीं। यह सरकार 2005 तक चली।

IMG 20230728 WA0094 01

2004 में आरजेडी के थे 22 सांसद 

साल 2005 में राज्य में दो बार विधानसभा चुनाव हुए। फरवरी के चुनाव में आरजेडी को 75 और नवंबर में 54 सीटें जीतीं। ठीक एक साल पहले 2004 में आरजेडी लोकसभा चुनाव में कुल 40 में 22 सीटें जीत कर यूपीए-1 सरकार में शामिल हुई थी। तब लालू की पार्टी को राज्य में 30.67 फीसदी वोट हासिल हुए। मगर बिहार और राष्ट्रीय स्तर पर आरजेडी का ग्राफ अगले ही साल विधानसभा चुनाव में गिर गया। 2009 में लोकसभा चुनाव में आरजेडी को मात्र 4 सीटें और अगले साल 2010 के विधानसभा चुनाव में 22 सीटें ही हासिल हुईं, जो पिछले चुनाव के 54 सीटों की आधी से भी कम थीं। इस प्रकार, आरजेडी का राजनीतिक ग्राफ दो चुनावों में नीचे चला गया।

IMG 20230324 WA0187 01

आरजेडी को गठबंधन ने दिलाई बढ़त

लालू यादव की पार्टी के 2014 में लोकसभा चुनाव में फिर 4 सीटें ही हासिल हुई। दरअसल, इस चुनाव में जद(यू) सीपीआई के साथ चुनाव में उतरा था। पहली बार नरेंद्र मोदी को एनडीए ने प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया था। 2015 में जदयू, राजद, कांग्रेस का महागठबंधन बना और इसका सबसे अधिक लाभ राजद को मिला। आरजेडी को 81 सीटें मिली थी।

IMG 20230701 WA0080

अभी एक भी सांसद नहीं

जेडीयू महागठबंधन से अलग होकर फिर एनडीए का हिस्सा बन गया। नतीजतन 2019 के चुनाव में आरजेडी के शून्य पर सिमट गया। हालांकि, अगले ही साल 2020 के विधानसभा चुनाव में 77 सीटें हासिल कर राज्य की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के रूप में सामने आया। आईएमआईएम के चार सदस्यों को पार्टी में शामिल किए जाने पर विधायकों की संख्या बढ़कर 81 हो गयी। एक सदस्य के निधन और एक की सदस्यता समाप्त किए जाने से वर्तमान में संख्या 79 है। एक तरह से राज्य की राजनीति में तेजस्वी यादव के युवा नेतृत्व में राजद की वापसी हुई। इसके सहयोगी दलों का प्रदर्शन भी अपेक्षाकृत बेहतर रहा।

IMG 20240111 WA0056 01

IMG 20231110 WA0063 01

IMG 20240103 WA0099 01

IMG 20230818 WA0018 02

20201015 075150