समस्तीपुर के निजी स्कूलों में RTE के तहत कितने गरीब बच्चों का नामांकन हुआ यह जिला को पता नहीं
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समस्तीपुर :- समस्तीपुर जिले के किस निबंधित निजी स्कूल ने अपने यहां 22-23 सत्र में कितने गरीब व अलाभकारी बच्चों का 25 फीसदी सीटों पर नामांकन लिया यह जिला को पता नहीं है। बीईओ ने नामांकन की रिपोर्ट ही अभी तक जिला को नहीं भेजी है। तीन प्रखंडों के कुछ स्कूलों से रिपोर्ट आयी भी तो आधी अधूरी ही।
पिछले महीने ही डीपीओ एसएसए ने सभी बीईओ को इसके लिए निर्देश जारी किया था। निर्देश के साथ फार्मेट भी भेजा था जिसमें हर स्कूल का नामांकन की रिपोर्ट देनी थी। बच्चों को मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा अधिनियम 2009 के तहत यह रिपोर्ट मांगी गई थी। हर बीईओ को अपने प्रखंड के प्रस्वीकृति प्राप्त निजी स्कूलों से यह रिपोर्ट लेकर जिला को भेजनी है। रिपोर्ट देने के लिए बीईओ को समय सीमा भी तय की गई थी जो बीत चुकी है।
बता दें कि डीपीओ एसएसए मानवेंद कुमार राय ने सभी बीईओ को पिछले महीने 17 अक्टूबर को निर्देश जारी किया था। जिसका अनुपालन अब तक नहीं किया गया है। ज्ञातव्य हो कि बच्चों के अधिकारों को सुनिश्चित करने के मकसद से बाल अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम 2005 के तहत राज्य सरकार द्वारा बिहार बाल अधिकार संरक्षण आयोग का गठन 2010 में किया गया था।
आयोग को बच्चों से संबधित विभिन्न अधिनियमों यथा बच्चों को मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा अधिनियम 2009 (आरटीई ) के अधिनियम के प्रावधानों को लागू कराने व उसका अनुश्रवण कराने के अतिरिक्त संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार समझौता पत्र 1989 में वर्णित बच्चों के अधिकारों को प्रतिस्थापित करने हनन के मामले में संज्ञान लेने व जांच के बाद कार्रवाई करने की शक्ति प्राप्त है।
14 साल तक के सभी बच्चों को मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा देने के मकसद एक अप्रैल 2020 को शिक्षा का अधिकार अधिनियम बनाया गया। इसके तहत हर स्कूल को 25 प्रतिशत सीटों पर गरीब परिवार के बच्चों का नामांकन लेना अनिवार्य है। इस संबंध में डीपीओ ने कहा है कि नामांकन की रिपोर्ट जिला को नहीं देने वाले निजी स्कूल के खिलाफ अधिनियम के प्रावधान के तहत कार्रवाई हो सकती है।