विद्यापति राजकीय महोत्सव : स्वनाम धनी कवियों से सजता मंच, भक्ति- भाव के धनी किए जाते दरकिनार
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समस्तीपुर/विद्यापतिनगर [पद्माकर सिंह लाला] :- भक्ति-भाव के प्रणेता महाकवि विद्यापति सांस्कृतिक चेतना और सामाजिक एकता के प्रतीक माने जाते हैं। उनके नाम पर आयोजित महोत्सव में कतिपय राजनेताओं व पदाधिकारियों के विचार अब तक सांस्कृतिक चेतना को गति देने में विफल रहे हैं। वहीं सामाजिक एकता को भी बल प्रदान करने में ऐसे लोग अब तक फिसड्डी साबित होते रहे हैं। भक्ति परंपरा के प्रमुख स्तंभों में से मैथिली भाषा के सर्वोपरी कवि के रुप में महाकवि विद्यापति जी की पहचान रही है।
धार्मिक मान्यताओं में ईश्वरीयता को प्राप्त हो चुके भक्त कवि के प्रति आदरभाव, स्नेह, प्रेम की विशालता का परोक्ष प्रमाण मिथिला के कण कण में सुवासित है। ऐसे में महाकवि के नाम पर होने पर महोत्सव में कवि विद्यापति जी की विशालता को परोक्ष रूप में श्रद्धालुओं के समुख परोसने में विफल रहा है। राजकीय महोत्सव का स्वरूप भी कवि की रचनात्मक भव्यता और मिथिला की गौरवशाली अतीत को जीवंत करने में अब कोसों दूर रहा है।
राजकीय महोत्सव अधिकारियों और स्थानीय छूटभैये नेताओं के तथाकथित बड़बोलेपन से फीका होता आया है। मैथिली साहित्य के सर्वोपरि कवि के नाम पर आयोजित कवि सम्मेलन नामचीन कवियों की उपस्थिति से अछूता होता है। जहां मैथिल भाषा श्रोताओं के कानों तक नहीं पहुंच पाती हैं। मैथिली भाषा के कवि का मंच पर न होना विद्यापति जी के प्रति भेदभाव को प्रतिबिंबित करता है। वहीं निम्न स्तरीय सामाजिक पहुंच का लाभ उठाकर रातों रात स्व को कवि के रुप में सामने आने वाले साहित्य के सुरों से बेसुरों लोग अब तक कवि सम्मेलन की गरिमा को तार-तार करने का प्रयास ही किया है।
ऐसे कवि महोत्सव की तैयारी में शामिल होने को भी शुरू से ही व्याकुल रहते हैं। कवि सम्मेलन में शामिल होने वाले कवियों की सूची तय करने को लेकर बुधवार को आयोजित बैठक में आपस में ही असंसदीय सब्दों का शोर कावियों के साहित्यिक जानकारियों को परिलक्षित होता दिखा। कवि सूची में अपने परिवार और नामों को शामिल करने में व्याकुल दिखे। इससे महोत्सव में दुसरे दिन होने वाले कवि सम्मेलन की सफलता पर प्रश्न चिन्ह लगा है।
वहीं विद्यापति धाम के प्रति स्नेह भाव, आस्था और स्वच्छता के प्रति जागरूक और सजग श्रद्धालु दरकिनार किए जा रहे हैं। समाधि भूमि की स्वच्छता को लेकर साल दर साल प्रतिबद्ध एविसीस केयर फाउंडेशन के संस्थापक मऊ गांव निवासी हर्षवर्धन कुमार प्रशासनिक वव्यस्ता से असंतुष्ट दिख रहे हैं। हर्षवर्धन ने बताया कि वें वर्षों से ही महाकवि की समाधि भूमि के जीर्णोद्धार को लेकर कृत संकल्पित है।
स्वच्छता अभियान को वर्षों से ही ये गति देने का काम कर रहे हैं। इसकी मंशा विद्यापति कॉरिडोर सहित अन्य धार्मिक उपलब्धियों से समाधि भूमि को सुशोभित करने की चाहत रही है। पर इसकी लाख कोशिश करने के बावजूद भी प्रशासनिक मदद नहीं मिल। महोत्सव में ऐसे लोग एक आमंत्रण से वंचित किए जाते हैं। इससे स्थानीय लोगों में असंतोष व्याप्त है।