Samastipur

विद्यापति राजकीय महोत्सव : स्वनाम धनी कवियों से सजता मंच, भक्ति- भाव के धनी किए जाते दरकिनार

IMG 20221030 WA0004IMG 20221030 WA0004

व्हाट्सएप पर हमसे जुड़े

समस्तीपुर/विद्यापतिनगर [पद्माकर सिंह लाला] :- भक्ति-भाव के प्रणेता महाकवि विद्यापति सांस्कृतिक चेतना और सामाजिक एकता के प्रतीक माने जाते हैं। उनके नाम पर आयोजित महोत्सव में कतिपय राजनेताओं व पदाधिकारियों के विचार अब तक सांस्कृतिक चेतना को गति देने में विफल रहे हैं। वहीं सामाजिक एकता को भी बल प्रदान करने में ऐसे लोग अब तक फिसड्डी साबित होते रहे हैं। भक्ति परंपरा के प्रमुख स्तंभों में से मैथिली भाषा के सर्वोपरी कवि के रुप में महाकवि विद्यापति जी की पहचान रही है।

धार्मिक मान्यताओं में ईश्वरीयता को प्राप्त हो चुके भक्त कवि के प्रति आदरभाव, स्नेह, प्रेम की विशालता का परोक्ष प्रमाण मिथिला के कण कण में सुवासित है। ऐसे में महाकवि के नाम पर होने पर महोत्सव में कवि विद्यापति जी की विशालता को परोक्ष रूप में श्रद्धालुओं के समुख परोसने में विफल रहा है। राजकीय महोत्सव का स्वरूप भी कवि की रचनात्मक भव्यता और मिथिला की गौरवशाली अतीत को जीवंत करने में अब कोसों दूर रहा है।

राजकीय महोत्सव अधिकारियों और स्थानीय छूटभैये नेताओं के तथाकथित बड़बोलेपन से फीका होता आया है। मैथिली साहित्य के सर्वोपरि कवि के नाम पर आयोजित कवि सम्मेलन नामचीन कवियों की उपस्थिति से अछूता होता है। जहां मैथिल भाषा श्रोताओं के कानों तक नहीं पहुंच पाती हैं। मैथिली भाषा के कवि का मंच पर न होना विद्यापति जी के प्रति भेदभाव को प्रतिबिंबित करता है। वहीं निम्न स्तरीय सामाजिक पहुंच का लाभ उठाकर रातों रात स्व को कवि के रुप में सामने आने वाले साहित्य के सुरों से बेसुरों लोग अब तक कवि सम्मेलन की गरिमा को तार-तार करने का प्रयास ही किया है।

ऐसे कवि महोत्सव की तैयारी में शामिल होने को भी शुरू से ही व्याकुल रहते हैं। कवि सम्मेलन में शामिल होने वाले कवियों की सूची तय करने को लेकर बुधवार को आयोजित बैठक में आपस में ही असंसदीय सब्दों का शोर कावियों के साहित्यिक जानकारियों को परिलक्षित होता दिखा। कवि सूची में अपने परिवार और नामों को शामिल करने में व्याकुल दिखे। इससे महोत्सव में दुसरे दिन होने वाले कवि सम्मेलन की सफलता पर प्रश्न चिन्ह लगा है।

वहीं विद्यापति धाम के प्रति स्नेह भाव, आस्था और स्वच्छता के प्रति जागरूक और सजग श्रद्धालु दरकिनार किए जा रहे हैं। समाधि भूमि की स्वच्छता को लेकर साल दर साल प्रतिबद्ध एविसीस केयर फाउंडेशन के संस्थापक मऊ गांव निवासी हर्षवर्धन कुमार प्रशासनिक वव्यस्ता से असंतुष्ट दिख रहे हैं। हर्षवर्धन ने बताया कि वें वर्षों से ही महाकवि की समाधि भूमि के जीर्णोद्धार को लेकर कृत संकल्पित है।

स्वच्छता अभियान को वर्षों से ही ये गति देने का काम कर रहे हैं। इसकी मंशा विद्यापति कॉरिडोर सहित अन्य धार्मिक उपलब्धियों से समाधि भूमि को सुशोभित करने की चाहत रही है। पर इसकी लाख कोशिश करने के बावजूद भी प्रशासनिक मदद नहीं मिल। महोत्सव में ऐसे लोग एक आमंत्रण से वंचित किए जाते हैं। इससे स्थानीय लोगों में असंतोष व्याप्त है।

Avinash Roy

Recent Posts

समस्तीपुर: भीषण गर्मी में खेल करवाने पर बिफरे अभिभावक, 7 से 9 बजे तक ही विद्यालय में होगी खेल प्रतियोगिता

यहां क्लिक कर हमसे व्हाट्सएप पर जुड़े  समस्तीपुर : शिक्षा विभाग अप्रैल माह की भीषण…

1 hour ago

दरभंगा में समस्तीपुर के शिक्षक की संदिग्धावस्था में पंखे से झूलती मिली ला’श, 28 अप्रैल को चढ़ने वाला था फलदान

यहां क्लिक कर हमसे व्हाट्सएप पर जुड़े  दरभंगा जिले के बिरौल थाना क्षेत्र अंतर्गत लदहो…

1 hour ago

अमरनाथ एक्सप्रेस रद्द, बिहार संपर्क क्रांति, अमृत भारत समेत कई ट्रेनों का रूट बदला; देखें लिस्ट

यहां क्लिक कर हमसे व्हाट्सएप पर जुड़े  बिहार और उत्तर प्रदेश (यूपी) से चलने वालीं…

3 hours ago

बिहार: शराब तस्कर को छुड़ाने के लिए थाना पर हमला, कई पुलिसकर्मी घायल; जवाब में हवाई फायरिंग

बिहार के कटिहार जिले के डंडखोरा में शनिवार सुबह भीड़ ने पुलिस थाने पर हमला…

3 hours ago

बिहार में CBI का बड़ा एक्शन, इनकम टैक्स के डिप्टी कमिश्नर विजेंद्र गिरफ्तार, जानें क्या है मामला?

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो यानी सीबीआई ने आयकर विभाग के डिप्टी कमिश्नर विजेंद्र को उनके सहयोगी…

7 hours ago

समस्तीपुर: रिटायर्ड अर्द्धसैनिक बल के जवान का ATM बदल 40 हजार की निकासी, FIR दर्ज

यहां क्लिक कर हमसे व्हाट्सएप पर जुड़े  समस्तीपुर/वारिसनगर :- मथुरापुर पंचायत के गोविंदपुर निवासी भूतपूर्व…

8 hours ago