Samastipur

महंगाई के बीच अपने पुरुखों की कला को जीवंत रखने की कोशिश में जुटे हैं कुम्भकार, लागत के अनुरूप नहीं मिल रही कीमत

IMG 20221030 WA0004IMG 20221030 WA0004

व्हाट्सएप पर हमसे जुड़े

समस्तीपुर :- मिट्टी निर्माण से जुड़े कुम्भकार अब बदलते परिवेश में अपने पुस्तैनी धंधे से विमुख होने लगे हैं। हालांकि कुछ बुजुर्ग व कुछ युवा कुम्भकार अपने पुस्तैनी धंधे को परिवार के साथ महंगाई के बीच किसी तरह जीवन यापन के लिए अब भी चला रहे हैं। समय व महंगाई के बीच धंधे में मुनाफा नहीं देख युवा वर्ग के अधिकतर कुम्भकार अब परदेश की ओर रुख करने पर मजबूर हैं, या फिर गांव में अन्य मजदूरी कर दो वक्त की रोटी जुटाने में लगे हैं।

पुराने लोग अब भी अपनी पुस्तैनी धंधे को किसी तरह निभा रहे हैं। मिट्टी के कलाकार कुम्भकार को समुचित संरक्षण नहीं मिलने व लागत सामग्रियों में लगातार बेतहाशा वृद्धि से कुंभकारों में पुरखों की धंधे से अब ज्यादा लगाव नहीं दिख रहा है। यहां सौ से अधिक मूर्ति का निर्माण कुम्भकार करते थे, वह अब सिमट कर 30 से 50 मूर्ति निर्माण पर रुक गया है। सरस्वती पूजा के अवसर पर मूर्ति निर्माण की बात हो या फिर दीपावली, छठ पर्व की बात हो। पहले के अपेक्षा मिट्टी के मूर्ति व वर्तन निर्माण में काफी कमी आई है।

बहुत कम कुम्भकार ही परिस्थितियों व महंगाई का सामना करते हुए पुरुखों की कला को जीवंत रखने की कोशिश में जुटे हैं। कुम्भकारो ने बताया कि अब पहले वाला कमाई नहीं रह गई है। महंगाई दिनों-दिन आसमान छूने लगी है। मूर्ति निर्माण में लागत पूंजी भी बड़ी मुश्किल से ऊपर हो पाती है। अधिकतर लोग तो अब परदेश में रोजी रोटी की तलाश में भटक रहे हैं।

पहले एक हजार कीमत की एक मूर्ति पर 4 सौ रुपए तक रुपए बच भी जाते थे। अब लागत पूंजी किसी तरह ऊपर हो पाती है। मजबूरी है कि पुरखों की मान सम्मान के लिए इस धंधे में जुटे हैं। बचत कम होने के बाद भी पुरुखों की धंधे को किसी तरह निभा रहे हैं। कई लोग तो पुरखों की धंधे को छोड़ दूसरे धंधे में जुटे हैं। अब कारीगर रखकर काम करना पड़ता है। इससे बचत कम होती है। इस बार 60 मूर्ति एक हजार रुपए से लेकर 7 हजार रुपए कीमत तक की मूर्ति केवल आर्डर पर बनाई गई है।

सरस्वती पूजा को लेकर प्रतिमा को अंतिम रूप देने में जुटे हैं कलाकार :

आगामी 26 जनवरी को वसंत पंचमी के अवसर पर होने वाली सरस्वती पूजा को लेकर कुम्भकार मूर्ति को अंतिम रुप देने में जुटे हैं। कड़ी धूप नहीं होने के कारण मूर्ति पूरी तरह सूख भी नहीं पाती है। करीब 45 दिनों से पूरा परिवार मूर्ति बनाने में जुटे हैं। अगर सभी मूर्ति नहीं बिकी तो मजदूरी के अनुरुप भी घाटा सहना पड़ता है। कुम्भकार बताते हैं कि मिट्टी तीन हजार रुपए टेलर है। पहले 4 से 5 सौ रुपए टेलर था।

पुआल 200 रुपए से 250 रुपए सैकड़ा है। कांटी एक सौ रुपये किलो, बांस 200 रुपए प्रति एक पीस, रंग एक मूर्ति पर करीब 250 से 300 रुपए की खर्च आती है। कपड़ा करीब 300 रुपए से 500 रुपए का हो जाता है। करीब 5 सौ से 1000 रुपए एक मूर्ति की सजावट में आ जाती है। अगर एक हजार की मूर्ति है तो करीब लागत खर्च 800 रुपए की हो जाती है। दिनों-दिन बढ़ती महंगाई के कारण अब आमदनी की बात नहीं हो रही है। फिर भी रोजी रोटी के लिए भीषण ठंड में भी काम करना पड़ता है।

Avinash Roy

Recent Posts

दुकानदार व उसके परिजनों के साथ मारपीट का वीडियो वायरल, दलसिंहसराय पुलिस की सुस्ती के कारण लगातार हो रही अपराधिक वारदातें, उपलब्धी शुन्य

यहां क्लिक कर हमसे व्हाट्सएप पर जुड़े  समस्तीपुर/दलसिंहसराय :- दलसिंहसराय थाना क्षेत्र के घाट नवादा…

1 hour ago

पटोरी SDPO कार्यालय का SP ने किया निरीक्षण, लंबित कांडों के तत्वरित निष्पादन व अनुसंधान को लेकर दिये आवश्यक दिशा-निर्देश

यहां क्लिक कर हमसे व्हाट्सएप पर जुड़े  समस्तीपुर/पटोरी :- पटोरी अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी के कार्यालय…

2 hours ago

समस्तीपुर : तिलक से एक दिन पहले युवक की मौ’त, सड़क हादसे का हुआ शिकार

यहां क्लिक कर हमसे व्हाट्सएप पर जुड़े  समस्तीपुर :- समस्तीपुर जिले के खानपुर थाना क्षेत्र…

2 hours ago

बिहार से दिल्ली जा रही बस लखनऊ में ज’लकर खाक, 5 की जिं’दा ज’लकर मौ’त

लखनऊ के किसान पथ पर चलती बस में भीषण आग लग गई। चंद मिनटों में…

2 hours ago

DM ने मानसून से पहले समस्तीपुर नगर निगम क्षेत्र के सभी नालों की उड़ाही का दिया निर्देश

यहां क्लिक कर हमसे व्हाट्सएप पर जुड़े   समस्तीपुर :- मानसून की तैयारी को लेकर डीएम…

3 hours ago

समस्तीपुर कलेक्ट्रेट के सामने कार में लदे अंग्रेजी शराब के साथ धंधेबाज गिरफ्तार

यहां क्लिक कर हमसे व्हाट्सएप पर जुड़े  समस्तीपुर : उत्पाद विभाग की टीम ने बुधवार…

3 hours ago