समस्तीपुर :- समस्तीपुर आरपीएफ व सीआईबी की टीम ने ई टिकट फर्जीवाड़ा मामले में फिर सीएससी संचालक सहित दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया। आरपीएफ हेड क्वार्टर से मिली गुप्त सूचना के बाद आरपीएफ व सीआईबी की टीम ने रविवार को वारिसनगर थाना के सतमलपुर स्थित एक सीएससी सेंटर में छापेमारी की। इस दौरान पर्सनल यूजर आईडी पर बनाये गये 15 ई टिकटों के साथ दो लोगों को गिरफ्तार किया गया। जब्त ई टिकटों का मूल्य 16039 रुपए आंका गया है। साथ ही टीम ने सीएससी में रखे एक लैपटॉप, एक प्रिंटर, एक माउस, तीन मोबाइल को भी जब्त किया। साथ ही समस्तीपुर आरपीएफ पोस्ट में 143 रेलवे एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया।
समस्तीपुर में रेलवे का ई टिकट बनाने एवं बेचने अवैध धंधा थमने का नाम नहीं ले रहा है। आरपीएफ के ताबड़तोड़ छापेमारी के बावजूद यह धंधा गांव-गांव में पैर पसार रहा है। जिसके कारण जहां एक तरफ रेलवे को राजस्व का चूना लगता है वहीं, जरुरतमंद यात्रियों से टिकट का मुंहमांगा दाम वसूला जाता है। खासकर समस्तीपुर से दिल्ली एवं मुंबई जाने वाली ट्रेनों में टिकट की डिमांड अधिक है। मुंबई जाने के लिए मात्र दो ही ट्रेनें हैं, जबकि दिल्ली के लिए कई ट्रेनें है। बावजूद इन ट्रेनों में वेटिंग टिकट की लंबी सूची होती है। नतीजतन काउंटर से कंफर्म टिकट या तत्काल टिकट नही मिलने पर जरुरतमंद को झांसे में लेकर ई टिकट अधिक दामों में बेचा जाता है।
वैसे तो रेलवे के आईआरसीटीसी के साइट पर जाकर ऑनलाइन टिकट बुकिंग करने की सुविधा यात्रियों को है। लेकिन कई साइबर कैफे एवं सीएससी संचालक इसका गलत इस्तेमाल करते हैं। अपने निजी आईडी या फेंक आईडी पर टिकट बुकिंग कर इसे अधिक दामों में बेच दिया जाता है। जबकि ई टिकट का धंधा करने वाले को आईआरसीटीसी से रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है। अन्यथा यह अवैध माना जाता है।
जानकार कहते हैं कि पीक सीजन को देखते हुए धंधेबाजों के द्वारा पहले से ही टिकट की बुकिंग फेंक नाम पर की जाती है। इसमें शार्ट नाम का अधिक इस्तेमाल किया जाता है। फिर ग्राहक के आने पर उसके जरुरत के अनुसार राशि तय होती है। नाम मैच नहीं करने पर फर्जी आईडी भी बनवाकर दे दिया जाता है। ताकि रास्ते में उसी पर यात्रा किया जा सके।
पिछले एक सप्ताह में समस्तीपुर जिले के विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों में आरपीएफ व सीआईबी की टीम के द्वारा छापेमारी की जा चुकी है। इसमें अब तक चार लोगों को ई टिकट के फर्जीवाड़ा में गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है। लगातार छापेमारी से जहां शहर एवं आसपास में यह धंधा अब मंदा हो गया है, वहीं अब सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में यह धंधा काफी तेज से फल फूल रहा है।
यात्रियों को दलाल एवं फर्जी टिकट से बचने के लिए किसी भी रेलवे स्टेशन के पीआरएस काउंटर से या फिर आईआरसीटीसी के अधिकृत एजेंट से ही टिकट लेना चाहिए। ताकि उनके साथ किसी भी तरह का कोई फर्जीवाड़ा नहीं हो सके।
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