अपने शहर में रोजगार की नहीं है कमी, राजस्थान से समस्तीपुर आकर वर्षों से दर्जनों परिवार बेचता है फालूदा, जुटी रहती है ग्राहकों की भीड़
व्हाट्सएप पर हमसे जुड़े
समस्तीपुर :- अगर आप गर्मी से परेशान हैं और कूल होना चाहते हैं तो आप सीधे फालूदा रबड़ी की इस दुकान पर चले आएं। यहां का फालूदा आपको बेहतरीन स्वाद के साथ मिनटों में कूल-कूल कर देगा। दरअसल राजस्थान से समस्तीपुर आकर कुछ परिवार जिला मुख्यालय के बीआरबी कॉलेज, विवेक विहार मुहल्ला चौक, सदर अस्पताल के पास, समाहरणालय के पास और अन्य जगहों पर फालूदा का ठेला लगाते है। राजस्थान से आये यह सभी एक ही परिवार के लोग हैं जो पिछले 6 वर्षों से समस्तीपुर में फालूदा बेच रहे हैं।
पुस्तैनी धंधे को आगे बढ़ा रहे हैं राजस्थान से आए पंकज जाठ :
विक्रेता पंकज जाठ ने बताया कि वह अपने परिवार के साथ कई साल से यही काम कर रहे हैं और समस्तीपुर आकर इस काम को आगे बढ़ा रहे हैं। पंकज ने बताया कि फालूदा, काजू शेक, बादाम शेक और कुल्फी बनाने में दूध, खोवा को मिक्स कर तैयार करने के बाद बर्फ बॉक्स में डालकर ठंडा करते हैं और उसके बाद जब इसे ग्राहकों को सर्व करने की बारी आती है तो सबसे पहले ग्लास में काजू शेक या बदाम शेक डालकर ऊपर से फालूदा, नारियल का पाउडर और ड्राय फ्रुट्स सहित अन्य सामाग्री डालकर मिक्स करते हैं।
इसके बाद उसे डेकोरेट करने के लिए उसपर रोज सिरप, चेरी, फ्रूट जेली और कई तरह की चीजें डाल कर इसे और स्वादिष्ट बनाते हैं, जिसे ग्राहक काफी पसंद करते हैं। उन्होंने आगे बताया कि खासकर गर्मी के मौसम में ग्राहक इसे बेहद पसंद करते हैं और बड़ी संख्या में आकर इसका लुफ्त उठाते हैं।
150 गिलास तक बिकता है फालूदा :
राजस्थानी फालूदा की बिक्री करने वाले पंकज जाठ ने बताया कि रोजाना अपनी इस गाड़ी के जरिए 120 से 150 ग्लास के लगभग फालूदा और मिल्क शेक बेच लेते हैं। ग्राहक अभिषेक, शिवम निगम, आयुष, अंशू सहित अन्य ने बताया कि समस्तीपुर में लगने वाला फालूदा के काउंटर पर इस गर्मी में रोजाना आने की आदत हो गई है। यह खाने में इतना स्वादिष्ट लगता है कि कहीं और भी ऐसे स्वाद का फालूदा या बदाम, काजू, मिल्क शेक और कुल्फी नहीं खाने को मिलता है। इसमें कई अलग तरह की सामाग्री रहती है, जिससे इसका स्वाद लाजबाब हो जाता है।
शहर में रोजगार की नहीं है कमी :
फालूदा विक्रेता पंकज जाठ ने कहा कि समस्तीपुर शहर में रोजगार की कमी नहीं है। हम लोग दूसरे शहर से आकर 6 सालों से काम कर रहे हैं। जबकि भीड़भाड़ क्षेत्र में ठेला लगाते हैं। शहर का लोग अच्छा व्यवहार करते हैं। 6 सालों में कभी भी परेशानी नहीं हुई। शहर में रोजगार की कोई कमी नहीं है। सिर्फ काम करने वाले आदमी चाहिए।