समस्तीपुर सदर अस्पताल में वर्षों से कार्टून में बंद है अल्ट्रासाउंड मशीन, सोनोलाजिस्ट नहीं रहने के कारण बाहर से जांच कराते लोग
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समस्तीपुर :- समस्तीपुर में मिशन-60 डे, क्वालिटी कंट्रोल अभियान खत्म हो गया। लेकिन सदर अस्पताल में दो सालों से बंद अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था शुरू नहीं हो पाई है। इसका नतीजा है मरीजों को अस्पताल से बाहर अल्ट्रासाउंड कराना पड़ रहा है। इससे मरीजों को कम से कम एक हजार रुपए वहन करना होता है।
सदर अस्पताल में मरीजों को सुविधा देने के लिए अल्ट्रासाउंड जांच की व्यवस्था कारोना से पूर्व शुरू की गई थी। इसके लिए दलसिंहसराय में पदस्थापित सोनोलाजिस्ट डॉ. अशोक कुमार गुप्ता की प्रतिनियुक्ति सदर अस्पताल में की गई। दो वर्ष पूर्व डॉ. गुप्ता सेवा से रिटायर्ड हो गए।
इसके बाद यह व्यवस्था बंद हो गई। करीब एक वर्ष पूर्व विभागीय स्तर पर एक नए सोनोलाजिस्ट डॉ. बलराम प्रसाद की पोस्टिंग भी सदर अस्पताल में हुई। लेकिन पोस्टिंग के कुछ दिनों बाद ही ही पटना मुख्यालय के आदेश पर कार्यरत रेडियोलॉजिस्ट डॉ प्रसाद की प्रतिनियुक्ति दानापुर अनुमंडलीय अस्पताल में कर दी गई। तब से अस्पताल का अल्ट्रासाउंड मशीन कार्टन में बंद है। खास कर गर्भवती महिलाओं को जांच के लिए अल्ट्रासाउंड लिखा जाता है।
सदर अस्पताल के रिकार्ड के अनुसार रोजाना 15-20 महिलाओं को अल्ट्रासाउंड महिला डॉक्टर द्वारा लिखा जाता है। लेकिन सदर अस्पताल में यह सुविधा नहीं रहने से मरीजों को बाहर से लेना होता है। हालांकि इस बावत महिला डॉक्टर का कहना होता है कि मरीज को अल्ट्रासाउंड की जरूरत है तो वह सलाह जरूर देगी।
सदर अस्पताल में हो-हल्ला के बाद तत्कालीन सिविल सर्जन ने अस्पताल की पीजी पास डॉक्टर को अल्ट्रासाउंड की जिम्मेवारी देने का प्रयास किया था लेकिन कोई भी महिला डॉक्टर इसके लिए तैयार नहीं हुई।
डॉक्टरों का कहना था कि उन्हें मात्र 15 दिनों की ट्रेनिंग मिली हुई है। ऐसी स्थिति में यह कार्य खतरे से खाली नहीं होगा। दो-दो डॉक्टर के इनकार के बाद स्थानीय प्रयास को भी ब्रेक लग गई। स्थानीय सांसद प्रिस राज ने भी डॉ. बलराम प्रसाद की प्रतिनियुक्ति को रद्द करने के लिए विभाग को पत्राचार किया लेकिन इस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया।
सदर अस्पताल के उपाधीक्षक ने क्या कहा :
सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. गिरीश कुमार ने कहा कि अस्पताल में सोनोलाजिस्ट के पद खाली है। सोनोलाजिस्ट की प्रतिनियुक्ति के लिए पिछले तीन सालों में छह बार सिविल सर्जन के माध्यम से विभाग को पत्राचार किया गया है। लेकिन सोनोलाजिस्ट के नहीं मिलने के कारण अल्ट्रासाउंड शुरू नहीं हो पाया है। विभाग द्वारा जैसे ही सोनोलाजिस्ट की प्रतिनियुक्ति की जाती है यहां यह सुविधा शुरू कर दी जाएगी।