बच्चों में मोबाइल का बढ़ता क्रेज बीमारी की बन रहा वजह, डॉक्टर सावधान रहने की दे रहे सलाह
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समस्तीपुर :- आज के समय में मोबाइल फोन… रोटी, कपड़ा और मकान जैसी जरूरत बन गई है। यह एक ऐसी आवश्यकता बन चुकी है कि ज्यादातर लोगों का इसके बिना काम नहीं चलता। मगर इसका एक दुखद पहलू है कि इस दौर में बच्चे भी मोबाइल के शौकीन होते जा रहे हैं। घंटों तक मोबाइल फोन इस्तेमाल करने से बच्चों में पर बुरा असर पड़ रहा है। साथ ही, उन्हें स्वास्थ्य संबंधी कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
बच्चों में मोबाइल का इतना क्रेज बढ़ता जा रहा है कि उन्हें इसकी लत लगती जा रही है। कोरोना काल के दौरान स्कूल बंद होने की वजह से ऑनलाइन पढ़ाई के लिए मोबाइल फोन का सहारा लिया गया था। इसमें बच्चों को मोबाइल फोन से स्कूल से ऑनलाइन जुड़ना होता था। मगर इसी मोबाइल की वजह से अब बच्चे बीमारी की तरफ बढ़ते जा रहे हैं और अभिभावकों को मजबूरन इन्हें डॉक्टर के पास ले जाना पड़ रहा है।
मोबाइल की लत से बच्चों में बढ़ती बीमारियां :
जेनरल फिजिशियन व नवजात एवं शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सोनाली सुप्रिया बताती हैं कि बच्चों के द्वारा कई घंटों तक मोबाइल फोन में गेम खेलते रहने व काफी देर तक बिना पलक झपकाए वीडियो देखने की वजह से उनकी आंखों से जुड़ी समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। इसकी वजह से उन्हें बहुत कम उम्र में ही चश्मे का सहारा लेना पड़ रहा है। इसके अलावा, बच्चे आउटडोर गेम्स को भी भूलते जा रहे हैं। इससे उनमें फिजिकल से संबंधित समस्याएं भी बढ़ती जा रही हैं। साथ ही, मोबाइल का इस्तेमाल करने की वजह से बच्चों को मानसिक समस्याओं का भी सामना करना पड़ रहा है।
बच्चों को मोबाइल से कैसे करें दूर :
बच्चों को आज के समय मे मोबाइल फोन से इतना लगाव है कि उन्हें इसकी लत से बाहर निकालना मुश्किल होता जा रहा है। ऐसे में अभिभावक अपने बच्चों के साथ ज्यादा समय व्यतीत करें। उन्हें पार्क में लेकर जाएं, आउटडोर गेम्स खेलने के लिए कहें। साथ ही, तमाम ऐसी एक्टिविटी हैं जिनको करने से बच्चे आसानी से मोबाइल फोन का ना कह देंगे और उनके शारिरिक समस्याओं से भी निदान मिल जाएगा। डॉ. सोनाली सुप्रिया ने यह भी कहा कि 14 वर्ष तक के बच्चों के लिए मोबाइल का उपयोग बहुत ही घातक है। इससे बच्चों में चिड़चिड़ापन व स्वभाव में जिद्दीपन आता है। वह माता-पिता को ब्लैकमेल करने लगते हैं तथा लत लग जाने पर जब उन्हें मोबाइल से दूर रखा जाता है तो वह डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं। जो माता-पिता छोटे मासूम बच्चों को रोने पर उनके हाथ मोबाइल देकर शांत कराते हैं वह बहुत बड़ी भूल कर रहे है। वह अपने बच्चों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।