समस्तीपुर :- मानसून की बेरुखी ने खरीफ फसल के बेहतर उत्पादन पर ग्रहण लगा दिया है। सावन शुरू होने के बाद भी अब तक धनरोपनी रफ्तार नहीं पकड़ सकी है। कृषि विभाग की माने तो 83 फीसदी बिचड़ा गिराया गया है। मगर 15 फीसदी से अधिक बोआई नहीं हो पायी है। जबकि 15 जुलाई तक लंबी अवधि वाले धान की बोआई हो जानी चाहिए।
इसके बाद बोआई होती है तो उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ता है। ऐसे में लंबी अवधि वाले प्रभेदों की बोआई के लिए किसानों के पास मात्र 8 दिन का ही उपयुक्त समय बचा है। हालांकि जिले के किसान 31 जुलाई तक खेत में धान की बोआई करते हैं। लेकिन देर से बोआई के कारण अच्छी उपज नहीं हो पाती।
इधर बारिश सही से नहीं होने के कारण नर्सरी में ही धान के बिचड़ा का ग्रोथ नहीं हो रहा है। जुलाई में भी बारिश की स्थिति अच्छी नहीं दिख रही है। तेज पुरवैया हवा फिर से चलना शुरू हुआ है। बादल मंडरा रहे हैं, लेकिन झमाझम वर्षा नहीं हो रही है। किसान पुरवैया हवा को इस समय बेहतर नहीं मानते।
जिले में कहीं-कहीं बूंदाबांदी तो कहीं हल्की बारिश हो जा रही है। जून से जुलाई माह में अब तक 63 एमएम बारिश हुई है। जबकि कम से कम 184 एमएम बारिश की अभी जरूरी है। कुछ किसानों ने अपने निजी बोरिंग व पंपसेट से रोपनी शुरू भी की है तो डीजल की महंगाई से खेती महंगी पड़ रही है। जिले में धान 79835.2 हेक्टेयर में धान की खेती होनी है। पिछले साल 25 जून तक धान की रोपनी कर ली गई थी।
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