समस्तीपुर में रेल पुलिस के सहयोग से प्रयास संस्था ने बच्चों की ट्रैफिकिंग के खिलाफ चलाया जन जागरूकता अभियान
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समस्तीपुर :- विश्व मानव दुर्व्यापार निषेध दिवस के अवसर पर 30 जुलाई को गैर सरकारी संगठन प्रयास जूवेनाइल एड सेंटर, RPF समस्तीपुर, GRP समस्तीपुर ने समस्तीपुर ट्रैफिकिंग के खिलाफ जनजागरूकता अभियान चलाया। इस दौरान लोगों को ट्रैफिकिंग के खिलाफ शपथ भी दिलाई गई।प्रयास संस्था अर्से से स्कूलों, आंगनबाड़ियों, पंचायतों के अलावा घर-घर जाकर बच्चों की ट्रैफिकिंग और बाल मजदूरी के खिलाफ जागरूकता अभियान चला रहा है और लोगों को बच्चों की ट्रैफिकिंग रोकने की शपथ दिला रहा है।
इन सतत प्रयासों का उद्देश्य बच्चों की ट्रैफिकिंग और बाल श्रम के खिलाफ लोगों में जागरूकता के स्तर को बढ़ाना और इसकी बुराइयों से अवगत कराना है। यद्यपि पिछले एक दशक में देश में केंद्र और राज्य सरकारों ने बच्चों की ट्रैफिकिंग पर काबू पाने के लिए कई ठोस कदम उठाए हैं लेकिन आम लोगों में जागरूकता की कमी के कारण ये प्रयास पूरी तरह सफल नहीं हो पाए हैं। देश के विभिन्न हिस्सों में बाल दुर्व्यापार या बच्चों की ट्रैफिकिंग को रोकना दशकों से एक बड़ी चुनौती है।
विश्व मानव दुर्व्यापार निषेध दिवस के अवसर पर गैर सरकारी संगठन प्रयास जूवेनाइल एड सेंटर, RPF समस्तीपुर, GRP समस्तीपुर ने समस्तीपुर ट्रैफिकिंग के खिलाफ जनजागरूकता अभियान चलाया। इस दौरान लोगों को ट्रैफिकिंग के खिलाफ शपथ भी दिलाई गई। @rpfspj @rpfecrspj pic.twitter.com/CGaGpLHFNX
— Samastipur Town (@samastipurtown) July 30, 2023
यद्यपि सरकारी व गैर सरकारी स्तर पर प्रयासों के कारण ट्रैफिकिंग के मामले दर्ज होने की संख्या बढ़ी है लेकिन अभी भी बहुत कुछ करना शेष है। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के 2021 के आंकड़ों से पता चलता है कि देश में हर घंटे नौ बच्चे लापता होते हैं, जबकि रोजाना आठ बच्चे ट्रैफिकिंग के शिकार होते हैं। रिपोर्ट बताती है कि 2021 में देश 77,535 बच्चे लापता हुए जो 2021 के मुकाबले 31 फीसद ज्यादा है।देश में बच्चों की ट्रैफिकिंग के बढ़ते मामलों पर चिंता जाहिर करते हुए प्रयास संस्था के संस्थापक (पूर्व DGP)श्री आमोद कंठ ने कहा कि “यह तथ्य कि आज ज्यादा से ज्यादा लोग बच्चों के लापता होने की जानकारी देने सामने आ रहे हैं, अपने आप में एक बड़ा बदलाव है।यह इस बात का संकेत है कि जमीनी स्तर पर घर-घर जाकर हमने जो जागरूकता अभियान चलाया है, उससे लोगों की मानसिकता बदली है और सुखद नतीजे सामने आ रहे हैं । हालांकि सरकारें और कानून प्रवर्तन एजेंसियां पूरी मुस्तैदी से बच्चों की ट्रैफिकिंग रोकने के प्रयासों में जुटी हुई हैं लेकिन इस संगठित अपराध को देश से पूरी तरह खत्म करने के लिए एक कड़े एंटी-ट्रैफिकिंग कानून की सख्त जरूरत है इसलिए सरकार संसद में एंटी-ट्रैफिकिंग बिल शीघ्र पास कराए।”