समस्तीपुर में बढ़ रहा डेंगू का प्रकोप, एक सप्ताह में मिले 30 मरीज; निजी अस्पतालों में बेड फुल और सरकारी अस्पताल में खाली
तस्वीर : फाइल
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समस्तीपुर :- समस्तीपुर जिले में डेंगू का आतंक काफी बढ़ गया है। पिछले एक सप्ताह से लगातार मरीज के मिलने का सिलसिला जारी है। सरकारी अस्पतालों से लेकरी निजी अस्पतालों तक डेंगू मरीज मिल रहा है। एक तरफ जहां डेंगू मरीज के कारण निजी अस्पतालों में बेड फुल हैं, वहीं सदर अस्पताल में मात्र एक डेंगू मरीज भर्ती है। समस्तीपुर शहर के विभिन्न निजी अस्पतालों में दो दर्जन से अधिक डेंगू मरीज के इलाजरत होने की जानकारी मिली है। जबकि सरकारी आंकड़ों में अबतक जिले में 30 डेंगू मरीज मिलने की रिपोर्टिंग की गयी है। जबकि सदर अस्पताल के डेंगू वार्ड में फिलहाल एक मरीज इलाजरत हैं। वहीं शहर के कई निजी नर्सिंग होम में डेंगू पीड़ित मरीज का इलाज चल रहा है।
इधर, जिले में डेंगू मरीजों की संख्या लगातार बढ़ते देख सीएस डॉ. एसके चौधरी ने शुक्रवार को सदर अस्पताल के डेंगू वार्ड का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान डेंगू वार्ड में पीड़ित मरीज होमगार्ड जवान मदन झा से जानकारी ली। साथ ही उनकी रिपोर्ट की जांच की। जिसमें 18 सितंबर को प्लेटलेट्स जांच रिपोर्ट पायी गयी। इस दौरान सीएस ने डीएस डॉ. गिरीश कुमार व मेडिकल अफसर डॉ. राजेश कुमार को होमगार्ड के जवान की फिर से जांच कराने का आदेश दिया। ताकि प्लेटलेट्स का पता लगाया जा सके। साथ ही डेंगू वार्ड के भर्ती मरीजों की समुचित इलाज व जांच की व्यवस्था सुनिश्चित करने का आदेश दिया।
डेंगू पॉजिटिव मरीज की जांच रिपोर्ट एलाइजा जांच के बाद ही साबित होता है। डीएमओ डॉ. विजय कुमार ने कहा कि एनएस वन कीट जांच में पॉजिटिव रिपोर्ट आने के बाद उक्त मरीज के सैंपल की एलाइजा जांच होती है। जिसमें रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर डेंगू कंफर्म माना जाएगा। सदर अस्पताल में यह सुविधा नि:शुल्क है। विदित हो कि जिले में केवल सदर अस्पताल में ही एलाइजा जांच की सुविधा है। डेंगू मरीजों की जांच करने वाले आधा दर्जन से अधिक लैब को नोटिस दिया गया है।
स्वास्थ्य विभाग ने इन लैब संचालकों को नोटिस भेजते हुए कहा है कि अगर जांच में कोई भी मरीज पॉजिटिव आता है तो तत्काल उसकी रिपोटिंग स्वास्थ्य विभाग को करें। साथ ही उसका सैंपल का एलाइजा जांच भी करावें। रिपोर्ट में मरीजों की पूरी जानकारी के साथ प्रत्येक दिन विभाग में जमा करने का आदेश दिया गया है। डीएमओ ने बताया कि घर एवं आसपास पानी जमा नहीं होने दें एवं साफ-सफाई का ध्यान रखें। यह बीमारी संक्रमित एडिस मच्छर के काटने से होता है। यह मच्छर दिन में ही काटता है और स्थिर पानी में पनपता है।
इस लिए पानी से भरे सामानों में, खुली पानी की टंकी में, कचरों के पानी में, गमलों में, बेकार पड़े टायरों में, पानी भरे गढ्ढों में, नारियल के खोलों में, कूलर व एसी ट्रे में पानी नहीं जमने दें। इसमें डेंगू के मच्छर के पनपने की संभावना में है। ऐसे सामानों की नियमित सफाई करते रहें एवं जमा पानी में केरोसिन डाल दें। डीएमओ डॉ. विजय कुमार ने बताया कि तेज बुखार, बदन, सर एवं जोड़ों में दर्द तथा आंखों के पीछे दर्द होना इसका लक्षण है। इसके अलावे नाक, मसूढ़ों या उल्टी के साथ रक्त स्त्राव होनो, काला पैखाना होना, त्वचा पर लाल धब्बे एवं चकते का निशान डेंगू का गंभीर लक्षण है।
यह बीमारी संक्रमित एडिस मच्छर दिन में ही काटता है। इस लिए दिन में भी सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करना चाहिए। इसके अलावे मच्छर भगाने वाली दवा व क्रीम का प्रयोग करें, पूरे शरीर का ढंकने वाला कपड़ा पहने, घरों की सफाई एवं हवादार रखें, टूटे बर्तनों व गमलों में एवं आसपास जल जमाव नहीं होने दें। डीएमओ डॉ. विजय कुमार ने कहा कि यदि किसी व्यक्ति को पूर्व में डेंगू हो चुका है तो उन्हें अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है। वैसे व्यक्ति दोबारा डेंगू बुखार की शंका होने पर तुरंत ही सरकारी अस्पताल या चिकित्सक से संपर्क करें।
उन्होंने बताया कि तेज बुखार के उपचार के लिए एस्प्रीन अथवा ब्रुफेन की गोलियां का इस्तेमाल कभी नहीं करना चाहिए। इसके लिए पारासिटामोल ही सुरक्षित दवा है। जो भी दवा लें, उससे पहले डॉक्टरी परामर्श जरुर ले लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि डेंगू से संबंधित जानकारी, शिकायत, परामर्श के लिए टॉल फ्री नंबर 104 से भी किसी समय संपर्क कर लिया जा सकता है।