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जब समस्तीपुर मंडल में नदी में अचानक समा गई 7 बोगी, 800 से ज्यादा यात्रियों ने गंवाई थी जान, 42 साल पहले के हादसे को याद कर सिहर जाते हैं लोग

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समस्तीपुर :- बिहार के बक्सर में रघुनाथपुर स्टेशन के पास बड़ा रेल हादसा हुआ है। इसमें नई दिल्ली से गुवाहाटी जा रही नॉर्थ ईस्ट एक्सप्रेस की बोगियां पटरी से उतर गईं तो दो बोगी पलट गईं। हादसे में अभी तक 6 लोगों की जान जा चुकी है। साफ है कि हादसा बड़ा है और दिल दहलाने वाला है। भारत के बड़े ट्रेन हादसों में सबसे बड़ा समस्तीपुर रेल मंडल का वह ट्रेन एक्सीडेंट है, जिसमें लगभग 800 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी।

मामला वर्ष 1981 का है और तारीख 7 जून थी जब समस्तीपुर मंडल में भारत का सबसे बड़ा और विश्व का दूसरा सबसे बड़ा ट्रेन हादसा हुआ था। यात्रियों से खचाखच भरी एक पैसेंजर ट्रेन मानसी से सहरसा के लिए जा रही थी, तभी बागमती नदी के पुल संख्या 51 से गुजरते वक्त हादसे का शिकार हो गई।

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6 जून 1981 का हादसा..

6 जून 1981 को बिहार में हुए। एक रेल हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। आज भी उस घटना को याद करने के बाद लोगों की रूह कांप जाती है। इस रेल हादसे में सैकड़ों लोग काल के गाल में समा गये थे। यात्रियों से खचाखच भरी एक ट्रेन मानसी से सहरसा की ओर जा रही थी। सभी यात्री अपनी-अपनी सीटों पर बैठकर यात्रा का आनंद ले रहे थे। ट्रेन बागमती नदी के ऊपर बने पुल को पार कर रही थी। अचानक इसी बीच ट्रेन में जोर से झटका लगता है। सभी यात्री अपनी सीट से इधर-उधर जा गिरते हैं। दरअसल, ड्राइवर ने अचानक ब्रेक मार दिया था। लोग इससे अंजान थे। ट्रेन के अंदर बैठे यात्री जब तक कुछ समझ पाते, तब तक ट्रेन के कई डिब्बे पटरी से उतर चुके थे।

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बागमती नदी में समा गयी ट्रेन :

ट्रेन के कई डिब्बे पुल से नीचे गिर गए और बागमती नदी में समा गए। कहा जाता है कि तब ट्रेन मानसी से आगे बढ़कर बदला घाट पहुंची थी। धमारा घाट की ओर ट्रेन बढ़ी ही थी कि अचानक मौसम खराब हो गया। उसके बाद तेज आंधी शुरू हो गयी और जोरदार बारिश पड़ने लगी। ट्रेन रेल के पुल संख्या 51 के पास पहुंची ही थी कि ट्रेन एक बार जोर से हिली। मौसम बिगड़ा तो सबने अपनी खिड़कियों और शीशों को बंद कर लिया। झटके की वजह से यात्री कांप गए। तभी एक जोरदार झटके के साथ ट्रेन पटरी से उतर गयी और कई डिब्बे हवा में लहराते हुए बागमती में समा गयी।

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सैकड़ों यात्रियों की मौत :

416 डाउन पैसेंजर ट्रेन के साथ हुई इस घटना में करीब 300 लोगों की मौत की बात सामने आयी थी। हालांकि स्थानीय लोगों की नजर में इससे कहीं अधिक मौत हुई थी। भारत के इतिहास में सबसे बड़ी रेल दुर्घटना के रूप में इसे तब देखा गया। तत्कालीन रेलमंत्री केदारनाथ पांडे ने तब घटनास्थल का दौरा किया था।

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खत्म हो गया पूरा परिवार..

नदी से शव मिलने का सिलसिला हफ्तों चला था। सहरसा जिला अंतर्गत सिमरी बख्तियारपुर के मियांचक का एक घर अब खंडहर बन चुका है। इस घर के मुखिया जमील उद्दीन असरफ की मौत हो गयी है। पड़ोसी मनोवर असरफ ने बताया कि बागमती रेल कांड ने इस घर के आगे का वंश तक को खत्म कर दिया। जमील उद्दीन असरफ के रिश्तेदार के यहां शादी में उसका पूरा परिवार गया था। वापसी के दौरान इस भीषण हादसे में 11 महिला-पुरुष और बच्चे खत्म हो गए थे। ऐसे कई परिवार इस रेल हादसे में बर्बाद हो गए थे।

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