समय से समस्तीपुर के इस अस्पताल में नहीं पहुंचते हैं जिम्मेवार, वेंटिलेटर पर है व्यवस्था, इसका भी हो इलाज! कर्मियों की मनमानी हद पार
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समस्तीपुर/विभूतिपुर [विनय भूषण] :- स्वास्थ्य सेवाओं को लगातार बेहतर व सुलभ बनाने का दावा कर सरकारें खूब ढिंढोरा पीट रही हैं। कागजी घोड़े दौड़ाने वाले आलाधिकारी भी सुर में सुर मिला रहे। कुछ हद तक बातें सही भी है कि पहले की तुलना में अंतर आया है। मगर, यह अंतर किस रुप में आया है, यह जानना जरुरी लगा तो बुधवार को 30 बेड वाले सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र विभूतिपुर की पड़ताल की गई।
इस पड़ताल के बाद जो जमीनी हकीकत उजागर हुई, उससे तेज रफ्तार वाले सरकार के दावे टांय-टांय फीश प्रतीत हो रहे। क्योंकि, अस्पताल का सूरत-ए-हाल यह है कि सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक संचालित होने वाले ओपीडी में समय से न पर्चा काउंटर खुलता है और न हीं रोस्टर के मुताबिक दवा हीं मिलती है। जिम्मेवार अपने मन के मालिक हैं।
दूसरे शब्दों में यूं कहें कि एक तरफ अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाएं जिम्मेदारों की लेट-लतीफी की भेंट चढ़ रही हैं। वहीं दूसरी तरफ कुव्यवस्था का दंश सीधे बेबस मरीज और उनके स्वजनों को झेलना पड़ रहा है। यह कहना अनुचित नहीं होगा कि अस्पताल के सिस्टम ने मरीजों के शारीरिक, आर्थिक और मानसिक शोषण के लिए सुनियोजित चक्रव्यूह रचा है। सरकारी निर्देशों को अमलीजामा पहनाने वाले विभाग के आलाधिकारी को इस चीज की गंभीरता को देखने की जरुरत है। कर्मियों की गतिविधियों व रोजमर्रा को संज्ञान में लेने वाले की अलग से जरुरत है।
एम्बुलेंस की व्यवस्था खुद वेंटिलेटर पर :
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र विभूतिपुर में सुबह के आठ बजे हैं। तीन चलायमान एम्बुलेंस दिखे। पहले एम्बुलेंस के निकट खड़े चालक शत्रुध्न पंडित बताते हैं कि वे 48 घंटे से ड्यूटी में थे। इनके साथ एक अन्य चालक मो. हसमत गायब हैं। ईएमटी नीतीश कुमार की अस्पताल में इंट्री 8:26 बजे हुई। जबकि, विकास कुमार भी गायब हैं। दूसरे एम्बुलेंस के निकट चालक मुकेश कुमार बताते हैं कि उनके साथ रहने वाले चालक हरे राम गायब हैं। ईएमटी जितेन्द्र कुमार 8:15 बजे स्नान कर रहे हैं। जबकि, चंदन कुमार भी जानकारी दिए बगैर गायब हैं।
तीसरे एम्बुलेंस को धोते हुए 8:22 बजे चालक दिनेश राम बताते हैं कि उनके साथी चालक रंजीत राम गायब हैं। ईएमटी प्रमोद कुमार पास में मौजूद हैं। जबकि, ईएमटी संदीप कुमार सूचना दिए बगैर गायब हैं। चौथे एम्बुलेंस और इस पर तैनात कर्मियों की अजीब दास्तां हैं। बताया गया कि एम्बुलेंस सर्विसिंग के बाद कर्मियों ने मंगलवार संध्या योगदान किया था। मगर, तब से चालक अवधेश कुमार व नरेश कुमार और ईएमटी ललित कुमार व रंजीत कुमार गायब हैं।
कर्मियों की मनमानी हद पार :
दवा काउंटर बंद पड़े है। यहां पर पर्ची डाटा इंट्री ऑपरेटर अंजनी, ड्रग इंट्री ऑपरेटर कन्हैया और दवा वितरण के प्रति जिम्मेवार जीएनएम कल्पना कालिंदी गायब हैं। अस्पताल के बाह्य कक्ष में डा. फैयाज आलम तैनात हैं। मरीजों की मैनुअल पर्ची और पंजी में कुछ दर्ज कर रहे थे। उनसे समय पूछकर कुछ बातें हुई। इसके बाद लेबर रुम में एएनएम अंजू कुमारी, चतुर्थ वर्गीय सुनीता कुमारी और उपेन्द्र उपाध्याय कार्यरत दिखे। जीएनएम खुशबू कुमारी की इंट्री 8:08 बजे हुई तो अंजू चली गईं। जबकि, जीएनएम कंचन कुमारी गायब बताई गई। इमरजेंसी पुरुष में विनोद कुमार दास कुरियर कर्मियों को दवा वितरण करते दिखे।
पर्ची कटवाकर डाक्टर से लिया सलाह, फिर दवा के लिए घंटों प्रतीक्षा :
सुबह 9:10 बजे डाटा इंट्री ऑपरेटर के आने के बाद प्रतीक्षारत बाजिदपुर बम्बैया निवासी रामयाद पासवान ने नस की दिक्कत, महथी उत्तर निवासी मैमूल खातुन ने दांत दर्द, सिंघियाघाट की पवित्री देवी ने आंख दर्द व कमजोरी, बेलसंडीतारा निवासी राम कलेश यादव की पत्नी सुलेना देवी हाथ टूटने की परेशानी समेत अन्य मरीजों ने पर्ची कटवाई। आन ड्यूटी चिकित्सक से सलाह लेकर दवा के लिए चक्कर काटते रहे। सुबह करीब 10:05 बजे जीएनएम के आने उपरांत मनमाने तरीके से काम शुरु हो गया। काउंटर से कुछ दवा ले सके। ये मरीज अपनी मुफलिसी, ढलती उम्र और अस्पताल की कुव्यवस्था पर फफक पड़े तो कैंपस के समीप लोग बरबस भावुक हो गए।
मरीजों को दवा खरीदने व किराया देने की विवशता :
पड़ताल के दौरान नाम नहीं छापने की शर्त पर लोगों ने बताया यहां तक अधिकांश गरीब और कम पढ़े-लिखे लोग हीं इलाज के लिए पहुंचते हैं। अस्पताल के कुछ आशा कार्यकर्ताओं, एम्बुलेंस कर्मियों और ड्रग माफियाओं का सैटिंग इस कदर पूरे सिस्टम पर हावी है कि मरीजों व उनके स्वजनों का शारीरिक, आर्थिक और मानसिक शोषण होना तय है। वैसे आशा कार्यकर्ताओं ने निजी मेडिकल स्टोर व क्लिनिक से संपर्क कर रखा है, जो मरीजों के स्वास्थ्य की चिंता बढ़ाकर स्वजनों को डायवर्ट करते हैं। इन्हें निजी क्लिनिक में भर्ती करवा कर बाद में कमिशन की तसीली करते हैं। हद तो तब हो गई जब प्रसूता के स्वजनों ने बताया कि उन्हें घर से अस्पताल और फिर अस्पताल से घर तक पहुंचाने के लिए दूरी के मुताबिक किराया वसूला जाता है।
प्रसूता को सुविधाओं की दरकार :
प्रसव करवाने बम्बैया से पहुंची प्रसूता सुदामा देवी, कल्याणपुर की पूजा कुमारी, खोकसाहा की चांदनी कुमारी, दियानतपुर की ज्योति कुमारी, भुसवर की कविता देवी, पतैलिया की सहजादी खातुन आदि बताते हैं कि इन्हें नाश्ता में 4 ब्रेड, एक अंडा और छोटा ग्लास में दुध मिला है। आशा और ममता के भरोसे हीं प्रसव हुआ। एएनएम अंजू कुमारी देखने आई थी।
करीब छह माह से एक्स-रे रुम में लटका है ताला :
यह बात कुछ और है सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था नहीं हो सकी। मगर, विगत 6 माह से एक्स-रे की सुविधा भी मरीजों को नहीं मिल पा रहा है। कक्ष में ताला लटकता मिला। जबकि, गर्भवती महिलाओं समेत अन्य रोगियों के लिए यह दोनों हीं संबंधित कार्य के लिए महत्वपूर्ण हैं। मरीजों को निजी क्लीनिक/लैब तक जाना पड़ता है। जहां अधिक रुपया खर्च करने पड़ते हैं। यह सुविधा बहाल होती है तो प्रतिमाह अस्पताल पहुंचने वाली लगभग 500 से 600 गर्भवती महिलाओं के अलावा अन्य मरीजों को भी काफी लाभ मिल पाता।
बयान :
कर्मियों की लेट-लतीफी की जानकारी मिलने पर अस्पताल में लगे सीसीटीवी कैमरे को खंगाला गया है। मामला सच प्रतीत हो रहा है। ऐसे कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए सिविल सर्जन को पत्राचार किया जाएगा।
– रंजीत कुमार प्रसाद, बीएचएम विभूतिपुर