पूसा से विकसित गन्ना के दो प्रभेदों को विभिन्न राज्यों में व्यवसायिक खेती के लिए माना गया उपयुक्त
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समस्तीपुर :- डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा द्वारा विकसित गन्ना के दो प्रभेद को पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल एवं असम में व्यावसायिक खेती के लिए चयनित किया गया है। इस संबंध में अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना गन्ना की वार्षिक बैठक में निर्णय लिया गया। यह दोनों प्रभेद राजेंद्र गन्ना एक सीओपी 16437 तथा राजेंद्र गन्ना 8 सीओपी 17437 है। राजेंद्र गन्ना एक की औसत उपज 86.43 टन प्रति हेक्टेयर पाई गई है जो वर्तमान में सबसे अच्छे मानक प्रभेद से 15.5 1% अधिक है।
इसके औसत चीनी के उत्पादन क्षमता 10.70 टन प्रति हेक्टेयर है जो मुख्य मानक प्रभेद से 18.63% अधिक है इस प्रभेद के गन्ना के रस में चीनी की औसत मात्रा 17.88% पाई गई है। राजेंद्र गन्ना आठ की औसत उपज 8 9.33 टन प्रति हेक्टेयर है जो मानक प्रभेद से 18.23% अधिक है इस प्रभेद में चीनी की औसत उत्पादन क्षमता 11. 07 टन प्रति हेक्टेयर है जो मानक प्रभेद से 18.13 प्रतिशत अधिक है।
कुलपति डॉ. पीएस पांडे ने कहा कि यह विश्वविद्यालय के लिए गौरव की बात है कि यहां के प्रभेद का चयन चार अन्य राज्यों में भी व्यावसायिक उपयोग के लिए किया गया है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक किसानों के हित में लगातार कार्य कर रहे हैं। उन्होंने बताया की इन दोनों प्रभेद के व्यावसायिक उपयोग से देश में भी चीनी के उत्पादन क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि संभावित है।
गन्ना अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ. एके सिंह ने कहा कि इस प्रभेद से उत्तर प्रदेश पश्चिम बंगाल बिहार एवं असम के चीनी मिलों को तथा किसानों को फायदा होगा। उन्होंने कहा कि कुलपति डॉक्टर पीएस पांडे के नेतृत्व में विश्वविद्यालय लगातार प्रगति कर रहा है। कुलपति किसानों की सेवा के लिए वैज्ञानिकों को अक्सर प्रेरित करते रहते हैं। गन्ना अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. डीएनकामत ने बताया कि यह दोनों प्रभेद कई बीमारियों से रोग रोधी है तथा विभिन्न जलवायु परिस्थितियों में भी इसका अच्छा उत्पादन होता है।
जानकारी के मुताबिक विश्वविद्यालय के कई अन्य प्रभेद देश में अन्य राज्यो मैं व्यावसायिक उपयोग के लिए जारी करने को लेकर कुलपति डॉ. पीएस पांडे के नेतृत्व में प्रयास किया जा रहा है और ऐसी संभावना है कि आने वाले कुछ दिनों में 8 से 10 विभिन्न फसलों के प्रभेदो को अधिसूचित किया जा सकता है।