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समस्तीपुर में मजदूर की कमी से तेज नहीं हो पा रही धान की कटनी, धान उत्पादक किसान परेशान

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समस्तीपुर :- समस्तीपुर जिले में मजदूर की कमी से धान की कटनी में तेजी नहीं आ रही है। इससे तैयार होने के बावजूद खेत में ही धान की फसल खड़ी है। जिससे धान उत्पादक किसान परेशान हैं। यह स्थिति जिले के लगभग सभी प्रखंडों में हैं। धान की कटनी के लिए चिरौरी करने के बाद भी किसानों की परेशानी दूर नहीं हो रही है। इसका कारण यह है कि गांवों से अधिकांश मजदूर रोजी रोटी के लिए परदेस चले गये हैं। वहीं जो गांव में है उनमें से कई शहर में दिहाड़ी पर मजदूरी करते हैं। शेष बचे मजदूर एक किसान के खेत का धान काटने के बाद ही दूसरे किसान का धान काटने की बात कह रहे हैं। इसके अलावा सामाजिक तानेबाने में आयी कमी से भी किसानों को मजदूरों का संकट झेलना पड़ रहा है।

सरायरंजन प्रखंड में मजदूरों की कमी से किसानों के खेतों में धान की फसल खड़ी है। तीन सौ रुपये रोज और दो समय का खाना देने पर भी मजदूर नहीं मिल रहे हैं। इससे धान उत्पादक किसान भारी परेशानी में हैं। किसान नवीन ठाकुर ने बताया कि दो बीघा खेत में उन्होंने धान की खेती की है। धान की फसल तैयार भी हो चुकी है लेकिन कटनी नहीं होने से अभाव में खराब हो रहे हैं। इसी तरह तिसवारा के धनंजय कुमार ठाकुर ने बताया कि 12 कठ्ठा में धान की खेती की थी। किसी तरह मजदूर ने धान तो काट दिया, लेकिन 15 अब उसे बांधने के लिए तैयार नहीं है। धान की कटनी नहीं होने से रबी की सफल में बोआई का संकट भी झेलना होगा।

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कल्याणपुर प्रखंड में भी मजदूर की कमी से किसान परेशान हैं। बरहेता के किसान शशिधर देव ने बताया कि मजदूर नहीं मिलने से खेत में ही धान लगा हुआ है। लदौरा के किसान महेंद्र प्रसाद सिंह ने बताया कि मजदूरों के परदेस जाने से धान काटने के लिए मजदूर की समस्या उत्पन्न हो गई है। उन्होंने बताया कि एक कट्ठा धान काटने के लिए मजदूर ढाई सौ से तीन सौ मांगे हैं। इसके अलावा धान झाड़ने के लिए 300 प्रतिदिन के हिसाब से मांगते हैं।

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इस पर भी मजदूर नहीं मिल रहे हैं। बलुआहा के किसान कमलेश राय ने बताया कि आलू रोकने एवं धान कटाई के लिए मजदूर नहीं मिलने के कारण कियी तरह खुद धान की कटाई कर रहे हैं। रोसड़ा प्रखंड में धान की फसल कटनी के लिए तैयार है, लेकिन मजदूरों की कमी से किसान परेशान हैं।

चांदचौर के किसान अनिल कुमार महतो, धर्मेंद्र महतो, गोविंदपुर के सुरेन्द्र कुमार सिंह, उदयपुर के सईद अंसारी आदि ने बताया कि धान की फसल तैयार है, लेकिन मजदूर नदारद है। अलग अलग गांवों से महिला मजदूरों को लाकर धान कटनी करानी पड़ रही है। हाल यह है कि अभी मजदूर 500 रुपये मजदूरी की मांग कर रहे हैं। नकद मजदूरी मिलने पर ही मजदूर कटनी कराके लिए तैयार हो रहे हैं।

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टूट चुका है मजदूर व किसानों का सामाजिक तानाबाना :

पहले किसान और मजदूरों में एक संबंध होता था। किसान मजदूरों का हर तरह से ख्याल करते थे जिससे मजदूर भी किसानों की हर समस्या के समाधान में अपनी भूमिका निभाते थे। पूर्व में 16 बोझा धान काटने पर एक बोझा मजदूर लेते थे। लेकिन अब वे नगद रुपये की मांग करते हैं। धान कटाई के लिए महिला 150 एवं पुरूष 300 रुपये मजदूरी मांगते हैं। रामपुर के किसान मकसूदन राय ने बताया कि दो बीघा में धान की खेती की है। जिसकी कटाई के लिए मजदूर नहीं मिल रहा है। पांच महिला मजदूर किसी तरह तैयार हुई जिससे कुठ राहत मिली। गांव से मजदूरों के पलायन होने से पुरूष मज़दूरों का अभाव है।

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परिवार के सदस्यों के किसान जुटे धान काटने में :

बिथान प्रखंड में मजदूर का संकट होने के कारण किसान अपने परिवार के सदस्यों के साथ ही धान की कटनी करने को विवश हैं। ताकि धान की फसल कटते के बाद रबी फसल की बोआई कर सके। किसान विजय यादव, जितेंद्र यादव, विनोद यादव ने बताया कि धान की कटाई के लिए मजदूर नहीं मिलने की वजह से परिवार के साथ मिलकर फसल की कटाई कर रहे है।

साभार : हिंदुस्तान

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