डाॅ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय को मिला दो और पेटेंट, कुलपति ने कहा- पिछले एक वर्ष में दस पेटेंट मिलना गौरव की बात
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समस्तीपुर :- डाॅ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा को दो नये पेटेंट प्रदान किये गये हैं। पहला पेटेंट मछली विक्रेताओं के लिये सौर उर्जा से संचालित आधुनिक ठेला गाड़ी के लिये दिया गया है जबकि दूसरा पेटेंट इस ठेलागाड़ी के आधुनिकतम, सरल , और कम लागत वाली डिजाइन को दिया गया है। विश्वविद्यालय में इस यंत्र से निर्माण मे योगदान देने वाले वैज्ञानिको को एक समारोह का आयोजन कर सम्मानित किया गया।
सम्मान समारोह में बोलते हुये कुलपति डाॅ. पीएस पांडेय ने कहा कि पिछले एक वर्ष मे विश्वविद्यालय को दस पेटेंट प्रदान किये गयो है, यह एक गौरव की बात है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के सभी वैज्ञानिक किसानों से कल्याण के लिये संकल्पित होकर कार्य कर रहे हैं जिसका यह परिणाम है। उन्होंने कहा कि इस यंत्र से मछली विक्रेताओं को फायदा होगा तथा उनकी मछलियां खराब नहीं होंगी।
उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों को चाहिये कि वे किसानो से वार्ता करें, उनके साथ समय बितायें और उनकी समस्याओं को समझें। फिर उन समस्याओे को दूर करने के लिये अनुसंधान करें। कुलपति डॉॉ. पांडेय ने यंत्र निर्माण मे लगे वैज्ञानिको को स्मार पत्र और गुलदस्ता देकर सम्मानित किया। कुलपति ने कहा कि इस यंत्र का डिजाइन अनूठा है जिसमें काफी कम लागत आती है इसके बाद भी इसमेे सभी आधुनिकतम सुविधायें हैं।
मत्स्यिकी महाविद्यालय ढोली के अधिष्ठाता डॉ. पीपी श्रीवास्तव ने सोलर ठेले की विशेषताओं को विस्तार से बताया और कहा कि कुलपति डॉ. पांडेय के निर्देशन नें विश्वविद्यालय तेजी से प्रगति कर रहा है। उन्होंनें बताया कि विश्वविद्यालय इस ठेेले की अच्छी मांग है और बिहार सरकार ने भी इसे खरीदा है। उन्होंने कहा कि इस यंत्र की खरीद पर सब्सिडी भी दी जा रही है।
कुल सचिव डॉ. मृत्युंजय कुमार ने सबको बधाई दी और कहा कि यह ठेला आने वाले समय मे मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने कि कुलपति अनुसंधान को लेकर काफी सख्त हैं और किसानों के हित मैं कार्य करने के लिये सबको प्रेरित करते रहते हैं। कार्यक्रम को दौरान डीन डा पी पी श्रीवास्तव और उनकी टीम को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के दौरान निदेशक अनुसंधान डाॅ. ए के सिंह, डीन पी जी सीए डाॅ. के एम सिंह, पुस्तकालय अध्यक्ष डॉ. राकेश मणि शर्मा, डॉ. कुमार राज्यवर्धन समेत विभिन्न वैज्ञानिक एवं शिक्षक उपस्थित थे।