होली मिशन हाई स्कूल में विज्ञान एवं कला प्रदर्शनी का किया गया आयोजन
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समस्तीपुर :- शहर के मोहनपुर स्थित होली मिशन हाई स्कूल परिसर में बच्चों में वैज्ञानिक एवं कलात्मक सोच विकसित करने के उद्देश्य से विज्ञान एवं कला प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। इस प्रदर्शिनी में कक्षा प्रथम से कक्षा दसम् तक के छात्र/छात्राओं ने ई. सरोज कुमार, संजीव महाराज, डॉ. प्रमोद कुमार के मार्ग दर्शन में विज्ञान परियोजना, आशीष गौरव के मार्ग दर्शन में कला प्रदर्शनी की परियोजना एवं काजल कुमारी एवं बबली कुमारी तथा विभा कुमारी के मार्ग दर्शन में सौर मंडल परियोजना की प्रदर्शिनी की प्रस्तुती की।
इस दौरान सभी छात्र/छात्राओं ने अपनी-अपनी परियोजनाओं के आकर्षक माॅडल की प्रस्तुती से समस्त अभिभावकों, पर्यवेक्षकों, शिक्षक/शिक्षिकाओं तथा विशेषज्ञों को अपने जवाब से न केवल संतुष्ट ही किया बल्कि उन्हें मंत्र मुग्ध कर दिया। कहते हैं कि पूत के पैर पालने में ही दिख जाते हैं, जिसे बच्चों ने चरितार्थ कर दिखाया।
आर्ट एवं हस्तशिल्प प्रदर्शनी में धागे से तैयार तस्वीर अंशु कुमार, थर्मोकाॅल से बनी गिटार के लिए लक्ष्मी वर्ग दशम् तथा लिटन आर्ट के लिए वर्ग अष्टम की छात्रा ख्याति को क्रमशः प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय पुरस्कारों से नवाजा गया। चित्रकला प्रदर्शनी में प्रियांशी, सफीना एवं अजका को प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय पुरस्कार से विशेषज्ञों ने पुरस्कृत किया। विज्ञान प्रदर्शनी में ग्रुप ए बाल वैज्ञानिकों में आदित्य राज एण्ड ग्रुप को, इशिका एण्ड ग्रुप को तथा प्रियांशु राज एण्ड ग्रुप को क्रमशः प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय पुरस्कारों से नवाजा गया। ग्रुप बी में आयुष कुमार एण्ड ग्रुप को प्रथम, रीतेश कुमार एण्ड ग्रुप को द्वितीय तथा पुष्कर राज एण्ड ग्रुप को तृतीय पुरस्कारों से पुरस्कृत कर उत्साह वर्द्धन किया गया।
होली मिशन हाई स्कूल परिसर में बच्चों में वैज्ञानिक एवं कलात्मक सोच विकसित करने के उद्देश्य से विज्ञान एवं कला प्रदर्शिनी का आयोजन किया गया।#Samastipur #HolyMission #School #Teacher #Students pic.twitter.com/zg2CDKNMbp
— Samastipur Town (@samastipurtown) December 16, 2023
मौके पर उपस्थित विद्यालय की सचिव सह संस्थापिका विभा देवी, माननीय प्राचार्य अमृत रंजन ने बच्चों के उत्साह वर्द्धक प्रदर्शन से प्रभावित हो अन्ततर यह स्वीकार किये कि कला और विज्ञान एक वरदान के रूप में प्रकृति को प्राप्त है जिसे राष्ट्रनिर्माता शिक्षक वर्ग ही इस वरदान को अपने शिष्यों को देने में समर्थ एवं सक्षम हैं। प्रारंभ से लेकर अन्त तक विद्यालय के तमाम शिक्षक/शिक्षिकागण का सहयोग पूर्ण भूमिका सराहनीय रही।