बिहार के 29 सदर अस्पतालों में डिप्लोमेट ऑफ नेशनल बोर्ड की होगी पढ़ाई, समस्तीपुर में शिशु रोग की होगी पढ़ाई
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समस्तीपुर सदर अस्पताल सहित 29 और सदर अस्पतालों में डीएनबी (डिप्लोमेट ऑफ नेशनल बोर्ड) की पढ़ाई होगी। स्वास्थ्य विभाग के निर्देश पर सदर अस्पताल प्रशासन ने पढ़ाई शुरू करने के लिए आवेदन कर दिया है। जल्द ही नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन की टीम सदर अस्पतालों का निरीक्षण करेगी। इसके बाद इन अस्पतालों में डीएनबी की पढ़ाई की अनुमति मिल जाएगी। इससे राज्य में पीजी की 132 सीटें बढ़ जाएगी। चार सदर अस्पतालों में तीन वर्षीय डिग्री तो 25 अस्पतालों में दो वर्षीय डिप्लोमा की पढ़ाई होगी।
राज्य के सदर अस्पतालों में गुणवत्तापूर्ण चिकित्सकीय सुविधा के लिए विभाग ने इसी साल मिशन-60 के तहत कई कार्य किये हैं। सदर अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती भी की गई है। बेहतर प्रबंधन के कारण सदर अस्पतालों को राष्ट्रीय गुणवत्ता प्रमाण पत्र (एनक्यूएएस) हासिल करने की प्रक्रिया भी चल रही है। इसी क्रम में विभाग ने सदर अस्पतालों में डीएनबी कोर्स शुरू करने का निर्णय लिया है। अभी मोतिहारी सदर अस्पताल में डीएनबी कोर्स चल रहा है। इसी तर्ज पर अन्य 29 सदर अस्पतालों में कोर्स शुरू करने के लिए संस्थानों ने आवेदन किया है।
एलएनजेपी पटना में 11 सीटों पर आर्थोपेडिक्स, बिमहास नालंदा में साइकायट्री में पांच, मुंगेर व भागलपुर में छह-छह सीटों पर जनरल मेडिसिन में डिग्री की पढ़ाई होगी। औरंगाबाद में स्त्री व शिशु रोग में दो, खगड़िया में शिशु रोग में दो, सहरसा में स्त्री रोग में दो, गोपालगंज में शिशु रोग में चार, सारण में स्त्री शिशु रोग में चार, वैशाली में स्त्री शिशु व नेत्र रोग में छह, सीतामढ़ी में स्त्री, शिशु व एनीस्थीसिया में आठ, मधुबनी में शिशु रोग में चार, बांका में स्त्री रोग में दो, जमुई में स्त्री रोग में चार, बेगूसराय में स्त्री व एनीस्थीसिया में आठ सीटों पर डिप्लोमा की पढ़ाई शुरू होगी।
सबसे अधिक नालंदा में स्त्री व शिशु रोग में 12 सीटों पर डिप्लोमा की पढ़ाई होगी। जबकि शिवहर में स्त्री रोग में चार, समस्तीपुर में शिशु रोग में चार, बक्सर में शिशु रोग में दो, मधेपुरा, किशनगंज, लखीसराय, मुजफ्फरपुर में स्त्री रोग में चार-चार, अररिया व रोहतास में शिशु रोग में चार-चार, भोजपुर में एनीस्थीसिया में दो, जीजीएस पटना में शिशु रोग में चार, अरवल में शिशु रोग में चार और सुपौल में शिशु रोग में दो सीटों पर डिप्लोमा की पढ़ाई होगी।
डीएनबी में डिग्री तीन वर्ष का जबकि डिप्लोमा दो वर्ष का होता है। पहले चरण में 29 अस्पतालों(मोतिहारी को छोड़कर) में डीएनबी की पढ़ाई होगी। अगले चरण में बाकी जिलों के सदर अस्पतालों में शुरू होगा। इसके शुरू होने से बिहार तथा बिहार से बाहर एमबीबीएस उत्तीर्ण छात्र जिला सदर अस्पतालों में पढ़ने आएंगे। उन्हें पढ़ाई के साथ-साथ सरकार की ओर से हर महीने अतिरिक्त भत्ता भी मिलेगा।