10 हजार एकड़ में हसनपुर के किसानों ने की है इंटरक्रॉपिंग खेती, एक ही उर्वरक एवं सिंचाई से दो फसलों का उपार्जन, ले रहे दोहरा लाभ
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समस्तीपुर :- देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने और करोड़ों किसानों को पैसे से मजबूत करने में गन्ने की खेती, चीनी और गुड़ उद्योगों का विशेष योगदान है। इससे देश के करोड़ों किसानों और मजदूरों को रोजगार मिल रहा है। लेकिन गन्ना किसानों को अपनी उपज मूल्य के लिए लगभग 12 महीने का लंबा इंतजार और फिर कभी-कभी चीनी मिलों की ओर से होने वाली देरी से गन्ना मूल्य भुगतान की समस्या का समाना करना पड़ता था।
इसलिए शरदकालीन गन्ने की खेती में लाभ का दायरा बढ़ाने और गन्ने की उपज से अतिरिक्त आय कमाने के लिए इंटरक्रॉपिग यानी सहफसली खेती बेहतर विकल्प साबित हो रही है। गन्ना एक लंबी अवधि वाली फसल है। इसकी बढ़वार के बीच आमदनी कमाने के लिए इंटरक्रॉपिंग एक अच्छा विकल्प है। इससे किसानों को इनकम में सहारा मिलता है और प्रति एकड़ आय भी बढ़ती है।
परम्परागत खेती में बढ़ती लागत एवं घटते मुनाफे के मददेनजर समस्तीपुर जिले के हसनपुर स्थित चीनी मिल परिक्षेत्र के किसानों में गन्ने के साथ इंटरक्रॉपिंग खेती करने की होड़ लगी है। इलाके के खेतों में शरदकालीन गन्ने के साथ आलु, सब्जी, तेलहन, मशाला, दाल, राजमा आदि की खेती की गई है। जिस से किसानों को दोहरा लाभ मिलता है।
किसान महेन्द्र महतो ने बताया कि नवम्बर माह के दूसरे सप्ताह में गन्ना लगाने के बाद आलु की रोपायी की गई है। एक एकड़ खेत में 10 क्विंटल वर्मी कम्पोष्ट, 8 किलो ट्राइकोडर्मा, 3 बैग एसएसपी, 01 बैग पोटाश एवं 01 बैग युरिया डाल कर गन्ने की रोपाई की गई। आलु का उत्पादन 6 से 8 क्विंटल तक प्रति कठ्ठा होने का अनुमान लगाया जाता है। 20 से 25 क्विंटल प्रति कठ्ठा गन्ने का भी उत्पादन होगा।
बता दें कि हसनपुर स्थित चीनी मिल परिक्षेत्र के किसानों ने 10 हजार एकड़ में इंटरक्रॉपिंग खेती की है। सीओजीरो 118 प्रभेद के साथ आलु की खेती हुई है। जिसका उत्पादन बेहतर होगा। इंटरक्रॉपिंग खेती किसानों की खुशहाली का श्रोत बनेगा। एक ही उर्वरक एवं सिंचाई से दो फसलों का उपार्जन होता है। एक एकड़ में आठ से दस क्विंटल तक राजमा उपजता है। गन्ने के उत्पादन पर कोई असर नहीं पड़ता है।