समस्तीपुर :- समस्तीपुर समेत उत्तर बिहार के जिलों में पड़ रही कड़ाके की ठंड का मवेशियों पर भी असर दिख रहा है। बड़ी संख्या में खासकर दुधारू पशु सर्दी, खांसी, हफनी व बुखार की चपेट में आ रहे हैं। दुधारू पशुओं के दूध में 15 से 20 फीसदी तक की कमी आई है। इस कारण पशुपालक परेशान हैं।
पशुपालन विभाग के अनुसार वर्ष 2020 के अनुसार जिले में कुल मवेशी की संख्या करीब साढ़े सात लाख है। इसमें से दुधारू पशुओं की संख्या करीब चार लाख है। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार वर्तमान में लगभग 12 लाख मैट्रिक टन दूध का उत्पादन जिला में हो रहा है। जबकि ठंड से पहले 14 लाख मैट्रिक टन दूध का उत्पादन रोजाना होता था।
जिले में पिछले आठ दिनों से लगातार 9-10 डिग्री सेल्सियस के आसपास तापमान के बने रहने पशुओं की मिल्क प्रोडक्टरी व रिस्पेकटरी सिस्टम पर प्रभाव पड़ रहा है। पशु चिकित्सक के अनुसार भरपूर धूप नहीं निकलने के कारण दुधारू पशुओं में कैल्शियम व कोटिको स्काइड की कमी हो जाती है। जिससे दूध बनना कम हो जाता है या फिर बंद हो जाता है।
एक पशुपालक ने बताया कि उनकी भैंस हर रोज पन्द्रह किलो दूध देती थी। ठंड के कारण दस से ग्यारह किलो पर आ गया है। पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने सलाह दी है कि शीतलहर में पशु की खोर के ऊपर सेंधा नमक का ढेला रखें, ताकि पशु जरूरत के अनुसार उसे चाटता रहे। ऐसे में हरे चारे के साथ सूखा चारा भी खिलाएं।
ठंड अधिक बढ़ चुकी है। अक्सर पशुओं को वह शारीरिक तापमान नहीं मिल पाता जो मिलना चाहिए, जिससे उनकी दूध देने की क्षमता घट जाती है। जैसे कि अगर कोई पशु 10 किलोग्राम दूध देता है तो इस सर्दी में उसकी क्षमता 8 किलोग्राम देने तक पहुंच जाती है। बाड़े के आगे अलाव जलाकर, उनके शरीर पर कपड़े आदि डालकर ठंड से बचाए रखें। पशुओं के शेड पर पराली डाल दें, ताकि गर्माहट महसूस होती रहे।
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