बिहार की हाजीपुर लोकसभा सीट पर चाचा पशुपति पारस और भतीजे चिराग पासवान के बीच शह और मात का खेल चल रहा है। इस खेल में लोजपा रामविलास के मुखिया चिराग भारी पड़ते नजर आ रहे हैं। एनडीए के सीट बंटवारे में केंद्रीय मंत्री एवं रालोजपा प्रमुख पारस को अपनी सीटिंग सीट हाजीपुर गंवानी पड़ सकती है। दूसरी ओर, चिराग पासवान को महागठबंधन से भी बिहार की 8 समेत कुल 10 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऑफर मिलने की चर्चा उठ गई है। ऐसे में बीजेपी चाचा-भतीजे की लड़ाई को एक निर्णायक मोड़ पर लाने की कोशिश में जुटी है।
बाजार में जो चर्चा है, उसके आधार पर लोजपा के दोनों गुटों को लोकसभा चुनाव में बड़ा झटका लगने जा रहा है। चाचा पशुपति पारस को थोड़ा बड़ा झटका लग सकता है। उन्हें अपनी सीट भी गंवानी पड़ सकती है। यही नहीं, जीती सीटें छोड़नी पड़ सकती हैं। अलबत्ता चाचा-भतीजा के बीच खींचतान के बीच भतीजा चिराग पासवान भारी भी पड़ सकते हैं।
हाजीपुर सीट को लेकर भतीजा की दावेदारी मजबूत है। इस सीट को हथियाने में वे सफल भी हो सकते हैं। ऐसा तब है जबकि पशुपति कुमार पारस ने दावा किया था कि वे हर हाल में हाजीपुर से ही चुनाव लड़ेंगे। उनकी पार्टी राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी का भी कहना है कि दुनिया की कोई ताकत उन्हें हाजीपुर से दूर नहीं कर सकती है। सीटों की इस दावेदारी में पारस को अगल-बगल खिसकना भी पड़ सकता है।
ऐसे में दूसरे भतीजे की सीट भी फंस सकती है। दूसरा भतीजा समस्तीपुर से सांसद हैं। उधर, लोजपा (रामविलास) अध्यक्ष व पारस के भतीजे चिराग पासवान भी हाजीपुर से ही चुनाव लड़ने पर अड़े हैं। चर्चा के अनुसार उनकी दावेदारी का असर हो सकता है। पर, इतना तय है कि दोनों को मनमाफिक सीटें नहीं मिलनी हैं। किसी एक खेमे को अधिक सीटें गंवानी पड़ सकती हैं।
2019 के लोकसभा चुनाव में लोजपा ने 6 सीटें जीती थीं। 2021 में पार्टी के विभाजन के बाद चिराग अकेले सांसद रह गए हैं। शेष पारस गुट के साथ हो लिए। अब आगामी लोकसभा चुनाव में इनका खेल बिगड़ता दिख रहा है। पारस गुट को 5 सीटें मिलनी दूर की बात हो गई है। उनके कई सांसदों का भविष्य अधर में है। कई तो अपने लिए नए रास्ते की तलाश में हैं।
लोजपा पर दावा करने वाले चिराग को भी 6 सीटें नहीं मिलने वाली हैं। लोजपा की कई जीती सीटें भी फंस गई हैं। कई पर बीजेपी खुद तैयारी कर रही है। इसमें लोजपा की कई परंपरागत सीटें शामिल हैं। ऐसे में दोनों ओर से बीजेपी नेतृत्व से बातचीत की कोशिश की जा रही है। हां, बीजेपी नेतृत्व भतीजे को लेकर थोड़ा सॉफ्ट अवश्य है। पर सबकुछ एक सीमा में ही होगा। चाचा के प्रति सम्मान के कारण उनकी भी बातें सुनी जा सकती हैं। फिलहाल चाचा-भतीजा के मौन से भी बड़ा रहस्य बना हुआ है।
यहां क्लिक कर हमसे व्हाट्सएप पर जुड़े समस्तीपुर : प्रभावती रामदुलारी इंटर विद्यालय के दो…
यहां क्लिक कर हमसे व्हाट्सएप पर जुड़े समस्तीपुर :- नगर थाना अंतर्गत माधुरी चौक गली…
यहां क्लिक कर हमसे व्हाट्सएप पर जुड़े समस्तीपुर : महज 12 वर्ष की उम्र में…
अभी हाल ही में एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें नजर आ रहा था कि…
यहां क्लिक कर हमसे व्हाट्सएप पर जुड़े समस्तीपुर : छात्र संगठन आइसा जिला कमेटी के…
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि वह पूर्व रेल मंत्री एल.एन. मिश्रा की हत्या के मामले…