समस्तीपुर में कालाजार के रोकथाम को लेकर माइक्रोप्लान बनाने के बावजूद अब तक दवा के अभाव में नहीं हो रहा छिड़काव कार्य
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समस्तीपुर :- जिले में कालाजार के रोकथाम माइक्रोप्लान बनाने के बावजूद अब तक छिड़काव नहीं हो पाया है। इसका कारण यह है कि समस्तीपुर में स्वास्थ्य विभाग ने अब तक दवा उपलब्ध नहीं करायी है। मार्च महीने में स्वास्थ्य विभाग को जिले में दवा का छिड़काव करने का काम पूरा करना था, लेकिन अप्रैल में भी शुरू नहीं हो पाया है। जबकि इस वर्ष उजियारपुर प्रखंड के एक गांव में कालाजार पीड़ित मरीज की पहचान हो चुकी है। इस संबंध में डीएमओ डॉ. विजय कुमार ने बताया कि दवा के लिए मुख्यालय को सूचना दी जा चुकी है। दवा आते ही प्रभावित गांवों में छिड़काव किया जाएगा।
विदित हो कि कालाजार रोग से बचाव के लिए मार्च से ही प्रभावित गांव में छिड़काव करने का विभाग ने निर्देश दिया था। जिसके आलोक में सभी जिलों में कालाजार प्रभावित गांवों को चिंहित कर मुख्यालय को सूची भेज दी गयी थी। होली के बाद ही दवा का छिड़काव शुरू करने की योजना थी, लेकिन विडंबना यह है कि अप्रैल का प्रथम सप्ताह भी समाप्त हो गया। फिर भी छिड़काव के लिए कोई दवा नहीं दिया गया।
103 गांव है कालाजार प्रभावित:
समस्तीपुर जिले में पूसा एवं दलसिंहसराय प्रखंड को छोड़कर शेष अन्य 18 प्रखंडों में पिछले तीन वर्षों में कालाजार रोगी मिल चुके हैं। इसके लिए संबंधित प्रभावित 103 गांव की सूची भी तैयार कर ली गयी है। इसमें सबसे अधिक 14 गांव विभूतिपुर प्रखंड में है। जबकि कल्याणपुर में 11 एवं पटोरी में 10 गांव प्रभावित है। शिवाजीनगर में मात्र एक गांव ही चिंहित है।
साढ़े 5 लाख की जनसंख्या है प्रभावित:
जिले में चिंहित 103 गांव में 549066 जनसंख्या प्रभावित है। इसमें 112912 घरों में कालाजार से बचाव के लिए छिड़काव करना है। इन गांव में छिड़काव के लिए 30 टीम का गठन किया गया है। एक टीम में छह से दस कर्मियों को शामिल किया गया है।
बाइट :
‘कालाजार प्रभावित गांव को चिंह्नित किया गया है। मार्च में ही छिड़काव की योजना बनायी गयी थी। लेकिन दवा उपलब्ध नहीं होने के कारण अभी शुरू नहीं हो पाया है। मुख्यालय को सूचना दी गयी है। दवा आते ही छिड़काव कार्य शुरू कर दिया जाएगा। सभी तैयारी पूरी कर ली गयी है।
– डॉ. विजय कुमार, डीएमओ, समस्तीपुर
बालू मक्खी काटने से होता है कालाजार:
डॉ. विजय कुमार ने बताया कि बालू मक्खी के काटने से कालाजार होता है। यह घातक बीमारी है। समय पर इलाज नहीं होने से जानलेवा भी हो सकता है। प्राय: बालू मक्खी घर की अंधेरी, नमी वाले स्थान, दरारों एवं छिद्रों में अंडा देती है। बचाव ही सबसे बड़ी सुरक्षा है। इसके लिए साफ-सफाई काफी आवश्यक है। वहीं छिड़काव के दौरान कर्मियों को सहयोग करें।
मच्छरदानी का प्रयोग करें:
डीएमओ ने बताया कि छिड़काव के बाद तीन माह तक दीवारों पर किसी भी प्रकार की पुताई या लेप ना करें। सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें, लेकिन जमीन पर ना सोएं। दो सप्ताह से अधिक बुखार होने पर कालाजार की जांच अवश्य कराएं। इसका पूर्ण इलाज संभव है।
पीड़ित को मिलेगी 71 सौ की राशि:
बीमार को सरकार के द्वारा आर्थिक मदद भी दी जाती है। मुख्यमंत्री कालाजार राहत योजना के तहत कालाजार मरीजों को इलाजोपरांत 66 सौ रुपए एवं भारत सरकार की ओर से पांच सौ रुपए की राशि देने का प्रावधान है। जबकि पीकेडीएल के मरीज को इलाजोपरांत एक मुश्त चार हजार रुपए की राशि देने का प्रावधान है।