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‘कुपोषण मुक्त समस्तीपुर’ बनाने के लिए सदर अस्पताल में खोला गया था पोषण पुनर्वास केंद्र, डेढ़ साल में अब तक मात्र 124 बच्चे ही हुए भर्ती

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समस्तीपुर :- कुपोषण मुक्त समस्तीपुर बनाने के लिए सदर अस्पताल में पोषण पुनर्वास केंद्र खोला गया। लेकिन सहयोगी विभाग के सहयोग नहीं मिलने के कारण पोषण पुनर्वास केंद्र अपने उद्देश्य से भटक गया है। इसकी वजह से डेढ़ वर्ष में मात्र 124 बच्चे ही पोषण पुनर्वास केंद्र पहुंच सके हैं। जबकि कुपोषित बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था बनाए रखने को लेकर पोषण पुनर्वास केंद्र की स्थापना की गयी थी।

लेकिन हकीकत है कि आंगनबाड़ी केंद्र पर भले ही कुपोषित बच्चों की सूची तैयार हो। उन्हें राशन भी मिलता हो, लेकिन पोषण पुनर्वास केंद्र में बच्चे नहीं पहुंच रहे हैं। जिसके कारण पोषण पुनर्वास केंद्र का उद्देश्य पूरा नहीं हो रहा है। फिलहाल किसी माह में एक तो किसी माह में दो बच्चे ही पहुंच रहे हैं। अभी तक सर्वाधिक 12 बच्चे पिछले वर्ष अगस्त में पहुंचे थे।

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20 बेड का है पोषण पुनर्वास केंद्र :

पोषण पुनर्वास केंद्र में 20 बेड बना है। जहां कुपोषित बच्चों के साथ उसके मां को भी निर्धारित समय के लिए पोषण पुनर्वास केंद्र में रहना होता है। जहां विशेषज्ञ डॉक्टरों की देखरेख में बच्चों के साथ उसके मां का ख्याल रखा जाता है। साथ ही निर्धारित समय के साथ-साथ नाश्ता, भोजन, दवा आदि दी जाती है। ताकि कुपोषण दूर किया जा सके।

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पोषण पुनर्वास केंद्र में बच्चों को पहुंचाने में आंगनबाड़ी सेविका का अहम रोल है। लेकिन आईसीडीएस के द्वारा कुपोषित बच्चों को रेफर नहीं किया जाता है। जिसके कारण पोषण पुनर्वास केंद्र में बच्चे नहीं पहुंच रहे हैं। नतीजतन हर महीने बच्चों के लक्ष्य पूरा नहीं हो पा रहा है। नियमानुसार आंगनबाडी केंद्र पर आने वाले बच्चों में कुपोषित बच्चों की पहचान की जाती है। फिर उसे पोषण पुनर्वास केंद्र रेफर किया जाना है।

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14 दिनों तक बच्चे के साथ रहती मां :

पोषण पुनर्वास केंद्र में कुपोषित बच्चे के साथ उसकी मां भी रहती है। कम से कम 14 दिनों तक रखा जाता है। इसमें पांच साल तक के ही बच्चे को भर्ती किया जाता है। 14 दिनों तक सुधार नहीं होने पर अधिकतम 21 दिनों तक रखा जाता है। जहां पौष्टिक आहार दिया जाता है। साथ ही मां को प्रत्येक दिन सौ रुपए के हिसाब से राशि भी दी जाती है।

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बाइट :

पोषण पुनर्वास केंद्र संचालित है। सभी सुविधा उपलब्ध है। लेकिन आईसीडीएस विभाग का समुचित सहयोग नहीं मिलने के कारण बच्चे नहीं पहुंच रहा है। ओपीडी में जांच के दौरान कुपोषित बच्चे मिलने पर उसे भर्ती किया जाता है।

– डॉ. गिरीश कुमार, डीएस, सदर अस्पताल

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