समस्तीपुर: स्वास्थ्य विभाग में लिपिक के संविदा विस्तार मामले में सिविल सर्जन की भूमिका संदिग्ध, DM ने 24 घंटे के अंदर मांगा जवाब
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समस्तीपुर :- स्वास्थ्य विभाग के सिविल सर्जन कार्यालय में कार्यरत संविदा लिपिक के संविदा विस्तार व एएनएम का संविदा नियोजन का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। जांच के बाद इस मामले में सीएस की भी भूमिका संदिग्ध माना गया है। जिसके कारण डीएम योगेंद्र सिंह ने सिविल सर्जन डॉ. एसके चौधरी से 24 घंटे के अंदर जवाब मांगा है।
डीएम के द्वारा पूछे गए पत्र में कहा गया है कि जांच से स्पष्ट है कि सीएस के द्वारा विभागीय पत्रों एवं निर्देशों की अनदेखी करते हुए या कर्मियों को लाभ पहुंचाने की नियत से संविदा सेवा अवधि का विस्तार करने के लिए प्रस्ताव को अनुशंसा के साथ स्थापना उपसमाहर्ता के पास भेजा गया था। यह संदिग्ध आचरण को प्रदर्शित करता है। साथ ही विभागीय निर्देशों के विपिरीत संविदा विस्तार के लिए अनुशंसा में घोर लापरवाही बरती गयी है। वहीं निदेशों के विपरित अनुशंसा करने के मामले में सीएस के विरुद्ध विभाग को कार्रवाई के लिए प्रतिवेदन भेजने की भी चेतावनी दी गयी है।
विदित हो कि सिविल सर्जन कार्यालय में कार्यरत संविदा लिपिक रामनंदन कुमार रजक एवं रमेश प्रसाद के संविदा सेवा अवधि विस्तार में सीएस के द्वारा अनुशंसा की गयी थी। जिसके बाद 15 मार्च को जिला चयन समिति की बैठक में संविदा विस्तार का अनुशंसा भी कर दिया गया। इसी प्रकार एएनएम के प्रस्ताव को भी अनुशंसा की गयी थी। जिसके बाद गोपगुट महासंघ के जिला सचिव अजय कुमार ने विभागीय निर्देशों के विपरित सीएस के द्वारा संविदा सेवा विस्तार एवं संविदा नियोजन किए जाने की शिकायत डीएम से की थी।
जिसके बाद डीएम ने एडीएम आपदा राजेश कुमार सिंह से जांच करायी। जिसमें मामला सही पाया गया। जिसके आधार पर डीएम ने संविदा अवधि विस्तार एवं संविदा नियोजन को अमान्य करार कर दिया था। इस मामले में पांच कर्मियों से पहले भी जवाब मांगा गया था। अब सीएस से जवाब मांगे जाने के बाद सीएस कार्यालय में हलचल मची हुई है।