33 साल बाद समस्तीपुर लोकसभा चुनाव में नहीं है रामविलास पासवान के परिवार का कोई भी सदस्य; चिराग ने JDU मंत्री की बेटी को दिया है टिकट
यहां क्लिक कर हमसे व्हाट्सएप पर जुड़े
समस्तीपुर :- 33 साल बाद समस्तीपुर (पहले रोसड़ा) लोकसभा क्षेत्र से रामविलास पासवान का परिवार बाहर है। पार्टी भले मैदान में है, लेकिन पारिवारिक चेहरा नहीं है। एनडीए में शामिल लोजपा (रामविलास) से राज्य सरकार में मंत्री जदयू के अशोक चौधरी की बेटी शांभवी को प्रत्याशी बनाया गया है।
साल 1991 में लोकसभा के मध्यावधि चुनाव में रामविलास पासवान स्वयं रोसड़ा सीट से जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़े और सफल भी हुए। साल 1996 के चुनाव में वे हाजीपुर चले गए। वर्ष 1998 में केंद्र में सरकार गिरने के बाद हुए मध्यावधि चुनाव में रामविलास के छोटे भाई रामचंद्र पासवान ने रोसड़ा से जनता दल के टिकट पर भाग्य आजमाया, लेकिन हार का सामना करना पड़ा था।
साल 1999 में रामचंद्र रोसड़ा से दूसरी बार जदयू के टिकट पर लड़े। इस चुनाव में उन्हें जीत मिली। वर्ष 2002 में रामविलास पासवान ने जदयू से अलग होकर लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) की नींव डाली। 2004 के चुनाव में रामचंद्र पासवान ने भाई की पार्टी से रोसड़ा से भाग्य आजमाया और जीत हासिल की। इसके बाद परिसीमन में रोसड़ा लोकसभा क्षेत्र विलोपित हो गया और यह समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा बन गया।
वर्ष 2009 के चुनाव में रामचंद्र पासवान जदयू के महेश्वर हजारी से पराजित हो गए, लेकिन 2014 में उन्हें जीत मिली। 2019 के चुनाव में रामचंद्र को फिर जीत मिली, लेकिन 21 जुलाई, 2019 को उनका निधन हो गया। उसी वर्ष उपचुनाव कराना पड़ा। पार्टी ने उनके बेटे प्रिंस राज को प्रत्याशी बनाया। प्रिंस ने परिवार की परंपरा कायम रखी और जीत हासिल की।
… जब दो खेमों में बंट गई थी पार्टी
वर्ष 2020 में रामविलास पासवान के निधन के बाद उनकी विरासत के उत्तराधिकारी को लेकर पार्टी दो खेमों में बंट गई। रामविलास के दूसरे भाई पशुपति कुमार पारस ने प्रिंस को लेकर राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी बना ली। वहीं, उनके पुत्र चिराग पासवान लोजपा (रामविलास) नाम से अलग पार्टी बनाई। इस चुनाव में वे एनडीए का हिस्सा हैं। समस्तीपुर सीट उनकी पार्टी के खाते में आई है। यहां से उन्होंने परिवार से बाहर शांभवी को प्रत्याशी बनाया है।