समस्तीपुर/रोसड़ा :- शहर के लक्ष्मीपुर निवासी युवा स्वर्ण व्यवसायी शिवरथ कुमार की निर्मम हत्या मामले में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम अशोक कुमार गुप्ता के कोर्ट ने साक्ष्यों एवं गवाहों के मद्देनजर अहम फैसला सुनाया है। हत्याकांड के मामले में कोर्ट ने सुनवाई पूरी करने के बाद भादवि की धारा 302 के तहत आरोपी पति-पत्नी को सश्रम आजीवन कारावास एवं 25 हजार रुपये अर्थदंड देने व 201/34 के तहत 7 वर्ष सश्रम कारावास व 10 हजार रुपये अर्थदंड देने की सजा का आदेश दिया है। अर्थदंड नहीं देने पर छह छह माह के अतिरिक्त कारावास की सजा सुनायी है। हत्याकांड के मामले में दंपती को उम्रकैद की सजा सुनाये जाने का मामला 17 मई 2022 का है।
लक्ष्मीपुर मोहल्ला निवासी रंजन कुमार ने रोसड़ा थाना में अपने छोटे भाई शिवरथ कुमार के अपहरण की प्राथमिकी दर्ज करायी थी। इसमें हसनपुर थाना क्षेत्र के मोहिउद्दीनपुर निवासी मो. शाहजहां व उसकी पत्नी रौनक खातून को आरोपित किया था। इसके बाद पुलिस ने उसी रात आरोपी के आंगन से अपहृत युवक शिवरथ का शव बरामद किया था। पुलिस के अनुसंधान में रौनक ने बताया था कि 13 मई 2023 की रात शिवरथ उसके घर पहुंचा था। रौनक के अनुसार, उस रात दोनों में कहासुनी हुई और उसने पति के साथ मिलकर उसकी हत्या कर दी।
रौनक व उसके पति ने युवक के गले में दुपट्टे का फंदा डालकर हत्या कर दी। पुलिस ने जब बरामद किया तो शव नग्न अवस्था में दफनाया हुआ था। पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त दुपट्टा भी बरामद किया था। घटना के बाद उसने साक्ष्य छुपाने की नीयत से मृतक का कपड़ा जला दिया था और मोबाइल तोड़कर फेंक दिया था। आरोपी ने शव को आंगन में दफनाकर उसके ऊपर जलावन रख दिया था, ताकि किसी को कुछ पता नहीं चले। इसके बाद उसने अपना मोबाइल बंद कर लिया था।
पुलिसिया जांच और आरोपियों के कबूलनामे में जो मामला सामने आया है वो अवैध प्रेम सम्बन्ध में हत्या कर शव छुपाने का पूरा मामला निकला। मामले में पुलिस ने रौनक खातून व उसके पति मो. शाहजहां को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। रौनक खातून तीन बच्चों की माँ थी और उसका प्रेम-प्रसंग शिवरथ कुमार से चल रहा था। इस मामले में पुलिस द्वारा भादवि 302 व 201/34 में चार्जशीट दायर की गई थी।
शिवरथ हत्याकांड में 24 माह में न्यायालय का फैसला आया है। इसको लेकर मृतक के परिजनों में प्रसन्नता व्याप्त है । न्यायालय के इस फैसले का स्वागत करते हुए मृतक के भाई रंजन कुमार ने बताया कि उन्हें न्यायालय पर भरोसा था। दो साल बाद जब न्याय मिला तो भाई की आंखें छलक पड़ीं। उन्होंने कहा कि उन्हें पूरी उम्मीद थी कि न्यायालय दोषियों को कठोर से कठोर सजा सुनाएगी।
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