डॉ. सुधीर की आध्यात्मिक- सामाजिक विमर्श की रचनाओं को भुलाया नहीं जा सकता : मंत्री
अपनी लेखनी के माध्यम से इस माटी की विरासत और समृद्ध परम्पराओं को युगानुकूल सन्दर्भ में परिभाषित किया
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समस्तीपुर/विद्यापतिनगर :- हिन्दी साहित्य के ख्यात साहित्यकार, कवि, लेखक, समीक्षक व संपादक डा . सुधीर प्रसाद सिंह ‘सुधीर’ के असामयिक निधन पर बुधवार को प्रखंड अंतर्गत मऊ गांव स्थित सूर्यस्थली भवन में आयोजित श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए बिहार सरकार के जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि डॉ. सुधीर साहित्यकार के साथ-साथ उच्च कोटि के नाटककार, कवि, लेखक, समीक्षक व संपादक भी थे। विभिन्न साहित्यिक मंचों से आजीवन इनका जुड़ाव रहा। इनके द्वारा दर्जनों पुस्तकों की रचना किया गया है। वे साहित्य जगत के सशक्त स्तम्भ थे।
डॉ. सुधीर बाबू ऐसे शब्दयोगी थे, जिन्होंने अपनी लेखनी के माध्यम से इस माटी की विरासत और समृद्ध परम्पराओं को युगानुकूल सन्दर्भ में परिभाषित किया। उनके असमय चले जाने से हिंदी साहित्य के एक प्राज्ज्वल्यमान अध्याय का अंत हो गया है। अपनी रचना से वे समाज को जागृत करते रहते थे। वर्तमान समय में उनकी आध्यात्मिक व सामाजिक रचनाओं को भुलाया नहीं जा सकता है।
साहित्य की प्रायः सभी विद्याओं यथा कहानी, कविता, शब्दचित्र, एकांकी, लोकगीत, गीत, अभियान गीत, गजल, लघुकथा, संस्मरण, निबंध, प्रबंधकाव्य, महाकाव्य, इत्यादि में इनकी रचनायें है। मंत्री ने कहा कि सुधीर बाबू मानवीय भावनाओं के सागर थे। उनके निधन से वर्तमान साहित्य को अपूरणीय क्षति हुई है। जिसकी भरपाई निकट समय में संभव नहीं है। इस दौरान मंत्री ने डा. सुधीर बाबू के अग्रज रंधीर प्रसाद सिंह, अनुज अखिलेश कुमार सिंह, ज्योतिंद्र चौहान, पुत्र ई. रत्नाकर सिंह, पदमाकर सिंह लाला आदि परिजनों से मुलाकात कर अपनी शोक संवेदना प्रकट किया।
सभा की अध्यक्ष्ता मुखिया दिनेश प्रसाद सिंह ने की। इस अवसर पर जदयू प्रदेश सचिव धीरेन्द्र कुमार सिंह, हरिश्चंद्र पोद्दार,मुखिया संजीत कुमार सहनी, पूर्व मुखिया अरुण कुमार झा,पैक्स अध्यक्ष रामबिहारी सिंह पप्पू, शिवदानी सिंह झप्पू, संतोष सिंह,कुंदन सिंह, गोपाल यादव, संजीव बेनी, सुनील कुंवर, आदिल ईमाम, मो. मोईन, रामउद्गार महतो, बलवंत चौधरी, नितेश गराय, विनोद सिंह, विमल सिंह, महेंद्र प्रसाद आदि ने उन्हें श्रद्धा सुमन समर्पित किया और अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की। श्रद्धांजलि सभा में तैल चित्र पर पुष्प अर्पित कर व दो मिनट का मौन रखकर मृतक की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।