समस्तीपुर :- नये कानून को लेकर पुलिस पदाधिकारियों को सरायरंजन स्थित इंजीनियरिंग कॉलेज सभागार में प्रशिक्षित किया जा रहा है। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम आज 10 जून से 20 जून तक तीन चरणों में चलेगा। इसमें समस्तीपुर जिलाबल के पुलिस उपाधीक्षक, पुलिस निरीक्षक, पुलिस अवर निरीक्षक, सहायक अवर निरीक्षक, पी०टी०सी० उत्तीर्ण सिपाहियों को नए आपराधिक कानूनों की जानकारी दी जा रही है।
वेब कास्टिंग के जरिए पटना से जुड़े सभी पुलिसकर्मियों को 1 जुलाई से लागू होने वाले भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023, भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 के बारे में गहन जानकारी दी जा रही है। इस कार्यक्रम का उद्घाटन बिहार के डीजीपी आरएस भारती ने किया।
देश मे वर्षों पुराने कानूनों को एक नए रूप में लागू किया जा रहा है। भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 के माध्यम से एक नए युग की शुरुआत होगी। इन तीन नए प्रमुख कानूनों का मकसद सजा देने की बजाय न्याय देना है। मसलन साइबर अपराध के मामलों में बढ़ोतरी हुई है, जबकि पुराने कानूनों में साइबर अपराधों के लिए कोई प्रावधान नहीं था।
नए कानून में इसके लिए व्यवस्था की गयी है। इन नए कानूनों में सूचना प्रौद्योगिकी के साथ ही फॉरेंसिक लैब की स्थापना पर बल दिया गया है। इन कानूनों में ई-रिकॉर्ड का प्रावधान किया जा रहा है, जिसके अंतर्गत जीरो एफआईआर, ई-एफआईआर और चार्जशीट डिजिटल होंगे । पीड़ित को 90 दिनों के भीतर सूचना प्रदान की जाएगी और 7 साल या उससे अधिक की सजा के प्रावधान वाले मामलों में फॉरेंसिक जांच अनिवार्य होगी।
इन नए कानूनों के तहत थाने से कोर्ट तक कि पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी। इसके अन्यर्गत देश में एक ऐसी न्यायिक प्रणाली स्थापित होगी जिसके जरिए तीन वर्षों के भीतर न्याय मिल सकेगा । जानकारी के मुताबिक 35 धाराओं में न्याय प्रक्रिया का समय सीमा निर्धारित किया गया है । इलेक्ट्रॉनिक तरीके से शिकायत दायर करने के तीन दिन के भीतर एफआईआर दर्ज करने का प्रावधान है, साथ ही यौन उत्पीड़न के मामलों में सात दिन के भीतर जांच रिपोर्ट देना अनिवार्य होगा।
नए आपराधिक कानून के अलावा इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में अनुसंधान के समय में कैसे विधि विज्ञान का प्रयोग कर सकते हैं और किस तरह से डिजिटल पुलिसिंग को बढ़ावा दे सकते हैं इसके बारे में भी पुलिस पदाधिकारी को प्रशिक्षित किया जा रहा है। गंभीर अपराध के घटनास्थल पर उपलब्ध साक्ष्य को किस तरह संकलन करना है, घटनास्थल की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी कैसे करनी है इसके लिए विधि विज्ञान के विशेषज्ञ भी मौजूद रहेंगे। इनके द्वारा पदाधिकारियों को ट्रेनिंग दी जा रही है। पुलिस अपना डिजिटलाइजेशन पूरी कर ली है, अब सीसीटीएनएस को बहुत जल्द आईसीजेएस से जोड़ दिया जाएगा। यानी पुलिस पूरी तरह से डिजिटल होगी। वहीं अनुसंधानकर्ताओं को लैपटॉप और स्मार्टफोन भी उपलब्ध कराया जाएगा जिससे काम करने में उन्हें काफी सहूलियत होगी।
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