BPSC शिक्षक बहाली फर्जीवाड़ा मामले में अपर समाहर्ता ने एचएम व शिक्षा विभाग के अधिकारियों से की घंटो पूछताछ
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समस्तीपुर :- समस्तीपुर जिले के विभूतिपुर प्रखंड अंतर्गत विभिन्न विद्यालयों में बीपीएससी टीआरई-1 के तहत फर्जी शिक्षकों के योगदान कराये जाने के मामले की बुधवार को अपर समाहर्ता (आपदा) राजेश कुमार ने जांच की। उन्होंने विभूतिपुर के बीईओ कृष्णदेव महतो व संबंधित स्कूलों के एचएम के साथ संदिग्ध शिक्षकों को अभिलेख के साथ जांच के लिए समाहरणालय बुलाया था। हालांकि इस दौरान कोई भी संदिग्ध शिक्षक वहां नहीं पहुंचे थे। लेकिन संबंधित स्कूलों के एचएम जरूर पहुंचे थे।
जानकारी के अनुसार, अपर समाहर्ता (आपदा) ने सभी संदिग्ध शिक्षकों की नियुक्ति से संबंधित कागजात एचएम व बीईओ से लेकर जांच के लिए अपने पास रख लिया। उन्होंने सभी से एक-एककर विद्यालय में संदिग्ध शिक्षकों के योगदान के संबंध में पूछताछ भी की। उन्होंने जांच के लिए शिक्षा विभाग के तत्कालीन डीपीओ (स्थापना) नरेन्द्र सिंह को भी बुलाया था। इसके अलावा शिक्षा भवन के कई लिपिक व कर्मियों को भी बुलाकर अपर समाहर्ता (आपदा) के द्वारा पूछताछ की गई।
बताया गया है कि संबंधित स्कूलों के एचएम की ओर से दिये गये कागजता को खंगालने के बाद उसमें कुछ कागजात की कमी पाने पर उसे भी जल्द उपलब्ध कराने का आदेश दिया ताकि जांच प्रक्रिया को जल्द पूरा किया जा सके। आपदा अपर समाहर्ता ने बताया कि मामला संवेदनशील होने के कारण गहन रूप में जांच की जा रही है। जांच पूरा होते ही वरीय अधिकारियों को रिपोर्ट सौंप दी जाएगी। जांच प्रक्रिया को लेकर बुधवार को भी शिक्षा भवन में कर्मियों व अधिकारियों में गहमागहमी बनी रही। सभी इस बात के लिए चिंतित थे कि जांच अधिकारी कब उनसे कौन से कागज की मांग करते हैं।
जांच कर रही चार सदस्यीय टीम :
समस्तीपुर में बीपीएससी शिक्षक बहाली मामले में फर्ज़ीवाड़े का मामला सबसे पहले Samastipur Town Media ने प्रमुखता से उठाया था। जिसके बाद तत्कालीन डीएम योगेंद्र सिंह ने मामले की जांच के लिए अपर समाहर्ता (आपदा प्रबंधन) राजेश कुमार के नेतृत्व में चार सदस्यीय कमिटी का गठन किया था। जांच टीम में शिक्षा विभाग के अधिकारियों को अलग रखा गया है।
सूत्रों की मानें तो शिक्षा विभाग के द्वारा कमिटी की तरफ से मांगे जा रहे पूरे कागजात भी अब तक उपलब्ध नहीं कराया गया है। जांच कर रहे अधिकारियों का मानना है कि मामला काफी संवेदनशील है। किसी बड़े सिंडिकेट के द्वारा ही अंजाम दिया गया होगा। यह किसी एक व्यक्ति का काम नहीं हो सकता है। ऐसे में अब देखने वाली बात है कि कमिटी की जांच में क्या सब निकलकर कर सामने आता है।
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