बिहार शिक्षा परियोजना और क्षमतालय फाउंडेशन के सहयोग से 60 शिक्षकों के साथ तीन दिवसीय कार्यशाला का हुआ समापन
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समस्तीपुर/सरायरंजन :- बिहार शिक्षा परियोजना और क्षमतालय फाउंडेशन के संयुक्त तत्वाधान में तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का समापन हुआ। इस कार्यशाला का समापन संबोधन में समस्तीपुर के सर्व शिक्षा अभियान डीपीओ मानवेंद्र कुमार राय ने कहा कि वर्तमान समय में शिक्षा को बेहतर करने के लिए तकनीक की मदद लेना आवश्यक है। साथ ही इन्होंने कहा शिक्षा क्षेत्र में संसाधन की कमी को पूरा करने की कोशिश की जा रही है, लेकिन आदर्श स्थिति में बेहतर करने की चाह रखना जड़ता की तरफ जाना है।
इस कार्यशाला का आयोजन के.एस.आर कॉलेज में किया गया। इस कार्यशाला में समस्तीपुर के छः प्रखंडों से आए 60 सरकारी विद्यालय के शिक्षकों ने इंटीग्रेटेड लर्निंग (IL), विद्यालय में पुस्तकालय और जीवन कौशल से संबंधित अनुभवों को जाना और सीखा। इस कार्यक्रम के दौरान प्रतिभागियों को न केवल शिक्षण-संबंधी नई तकनीकों के बारे में बताया गया, बल्कि उन्हें अपने छात्रों के साथ व्यावहारिक रूप से इन्हें लागू करने के लिए प्रेरित किया गया।
इंटीग्रेटेड लर्निंग और लाइब्रेरी से संबंधित सत्रों में जानकारी देती हुई फैसिलिटेटर पल्लवी ने कई गतिविधियों के माध्यम से शिक्षण को अधिक रुचिकर और प्रभावी बनाने के उपाय बताये। वहीं जीवन कौशल को बेहतर करने के लिए SEE लर्निंग (सामाजिक भावनात्मक और नैतिक सीख ) के तहत बच्चों में भावना, संवेदना, और जीवन बेहतरी को लेकर कई दिशा-निर्देश दिए गए तथा गतिविधि के मध्य से बच्चो में इस गुण को स्थापित करने की जानकारी भी दी गई।
SEE लर्निंग के महत्व को बताते हुए फेसलीटेटर पूजा कुमारी ने कहा कि SEE लर्निंग हमे इस बदलती हुई दुनिया में जहां इंसान समाज और लोगों से ज्यादा मशीनों से घिरा रहता है, वहां दवाबों के बीच जीना सिखाता है। वही इसी विषय पर अपनी बात रखते हुए फाउंडेशन की फेलो स्नेहा कुमारी ने कहा कि SEE लर्निंग बच्चों के अंदर सामाजिक और आत्म जागरूकता की समझ बेहतर करता है।
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— Samastipur Town (@samastipurtown) September 13, 2024
अमन गौतम ने प्रतिभागियों को संवेदना और भावना की समझ देते हुए कहा कि अगर हम खुद की भावना के साथ साथ दूसरों की भावनाओं को समझकर खुद को नियंत्रित करना ही जीवन कौशल की असल सीख है। इंटीग्रेटेड लर्निंग और पुस्तकालय का महत्व विषय पर अपनी बात रखते हुए फेसिलिटेटर पल्लवी ने कहा कि विद्यालय में सीखने सिखाने की प्रक्रिया ऐसी आनंदमय होनी चाहिए जिससे बच्चे पसंद करने लगे। वहीं पुस्तकालय के बारे में इन्होंने कहा कि पुस्तकालय एक आईना और खिड़की की तरह होता है, जो बच्चों को अपने जीवन में झांकने का अवसर प्रदान करता है।
इस कार्यशाला में भाग ले रहे आलोक कुमार ने कहा कि इस तरह के कार्यशाला का होते रहना आवश्यक है, क्योंकि इस तरह की कार्यशाला ऐसे माहौल का गठन करने में मदद करती है जहां सीखने सिखाने की प्रक्रिया का आदान प्रदान होता है। इस कार्यशाला के आयोजक और क्षमतालय फाउंडेशन बिहार के प्रोग्राम मैनेजर अभिषेक तिवारी ने कहा कि किसी भी कार्यशाला की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि कार्यशाला में सीखी गई बातों का अनुकरण कक्षा कक्ष में हो रहा हो।
11 सितंबर से 13 सितंबर 2024 तक चलने वाले इस कार्यशाला के समापन पर सभी प्रतिभागियों ने अपने अनुभव साझा किए और इस प्रकार की गतिविधियों को अपने स्कूलों में लागू करने की प्रतिबद्धता जताई। कार्यशाला का उद्देश्य शिक्षकों के साथ-साथ विद्यालय में जाने वाले फेलो को भी उनके शैक्षणिक और सामाजिक दायित्वों के प्रति जागरूक करने के लिए प्रोत्साहित करना था, जो सफलतापूर्वक पूरा हुआ।