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फर्जी BPSC शिक्षिका की बहाली को लेकर BEO ने तत्कालीन HM पर बनाया था दबाव, DPO ने सभी अभिलेख के साथ बुलाया कार्यालय

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समस्तीपुर : समस्तीपुर में बड़े पैमाने पर बीपीएससी टीआरई- 2 के साथ साथ टीआरई-1 में भी फर्जी शिक्षक बहाली का मामला अब सामनें आ रहा है। Samastipur Town Media द्वारा मामला उजागर किए जाने के बाद ओरिजिनल शिक्षिका सामनें आ गई। जिसका कहना है कि वह नौकरी कर रही है। एक ही रौल नम्बर और कैंडिडेट आईडी पर ओरिजिनल शिक्षिका मीरा कुमारी जहां मध्य विद्यालय कापन में नौकरी कर रही है, वहीं फर्जी शिक्षिका रंजना कुमारी प्राथमिक विद्यालय धोबी टोल में योगदान करने पहुंची। जहां उसके कागजात गलत होने के शक पर विद्यालय की तत्कालीन प्रिंसिपल गायत्री देवी ने योगदान लेने से इनकार कर दिया।

जिसके बाद उन्होंने फर्जी अभ्यर्थी से संबंधित मामले को लेकर विभूतिपुर प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी कृष्णदेव महतो से शिकायत की। जिसको लेकर बीईओ के द्वारा प्रिंसिपल पर मौखिक आदेश देकर विद्यालय में योगदान लेने का दबाब बनाया जाने लगा। इसके बाद भी प्रिंसिपल ने जब योगदान नहीं लिया तब प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी कृष्णदेव महतो ने फर्जी शिक्षिका रंजना कुमारी को स्कूल में योगदान दिलाने को लेकर एक लिखित आदेश भी जारी कर दिया।

फर्जी शिक्षिका रंजना कुमारी विद्यालय में 29 फरवरी 2024 को योगदान दी और 30 मार्च से गायब हो गई। इसमें हैरान करने वाली बात है कि विद्यालय की प्रिंसिपल ने रंजना कुमारी के कागजात को देखकर जहां फर्जी करार दिया। वहीं प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी फर्जी शिक्षिका को योगदान दिलाने के लिए आखिर क्यों दबाव बना रहे थे ? इस मामले में प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी विभूतिपुर की भूमिका संदेह के घेरे में है।

तत्कालीन प्रधानाध्यापिका ने क्या कुछ कहा देखें :

वहीं इस मामले पर शिक्षा विभाग के डीपीओ स्थापना कुमार सत्यम का कहना है कि इस मामले को लेकर विद्यालय के तत्कालीन और वर्तमान प्रिंसिपल के साथ प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को पत्र भेज कर उनकों कार्यालय में उपस्थित होने का निर्देश दिया गया है। पूरे मामले की जांच के बाद जो भी दोषी होंगे उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। बताते चलें कि इससे पूर्व भी विभूतिपुर प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी के ऊपर कई तरह के संगीन आरोप लगा चुके हैं। उनके ऊपर प्रपत्र ‘क’ भी गठित किया जा चुका है। बावजूद अब तक उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है उलटे उन्हें दलसिंहसराय प्रखंड का भी अतिरिक्त प्रभार दे दिया गया। ऐसे में अब देखने वाली बात है कि इस फर्जीवाड़े मामले में बीईओ पर कार्रवाई होती है या फिर मामले की लीपापोती कर दी जाती है।

डीपीओ स्थापना ने क्या कुछ कहा देखें :

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