समस्तीपुर :- हुक्कापाती की परंपरा आज भी दिवाली में कायम है। बगैर इसके दिवाली अधूरी रहती है। लक्ष्मी घर, दरद्रि बाहर… दिवाली पर हुक्का पांती की इस परंपरा को शहरवासी आज भी निभाते है। यह परंपरा घर में लक्ष्मी के आह्वान का द्योतक है। शहर के बाजार में ग्रामीण स्तर से बड़ी संख्या में हुक्कापाती बनाकर लाया गया है। रामबाबू चौक, गणेश चौक, स्टेशन रोड, भोला टॉकीज चौक, काशीपुर चौक, कचहरी चौक सहित अन्य जगहों पर इसकी बिक्री भी जमकर हो रही है।
इलाके के बुजुर्ग अरूण कुमार सिन्हा और रामाकांत झा कहते हैं कि हुक्का-पाती की पारंपरिकता और मान्यता अपने पितरों और पूर्वजों को सम्मान देने से जुड़ी है और यह सदियों से चली आ रही है। इसके तहत दक्षिण दिशा में हुक्का-पाती को जलाकर हम पितरों को प्रकाश दिखाने की परंपरा श्रद्धा के साथ निभाते हैं। दिवाली की शाम में घर के सभी सदस्य नहा धोकर लक्ष्मी-गणेश की पूजा करने के बाद पूजा घर के दीये से हुक्का-पांती में आग सुलगाते हैं और घर के सभी दरवाजों पर रखे गए दीये में लगाते हुए लक्ष्मी घर, दरद्रि बाहर, लक्ष्मी घर, दरद्रि बाहर…कहते हुए मुख्य द्वार से बाहर निकलते हैं। बाहर निकलकर सभी सदस्य एक जगह पर हुक्का-पाती रखते हैं और पांच बार उसका तरपन करते हैं।
रंगोली व घरौंदा सुख और समृद्धि का प्रतिक
दीपावली पर रंगोली और घरौंदा सुख और समृद्धि का प्रतीक है। पहले रंगोली व घरौंदा घरों में ही तैयार किया जाता था। अब इसपर आधुनिकता का रंग चढ़ गया है। थर्मोकॉल से तैयार घरौंदा 50 रुपये से लेकर 200 रुपये तक बाजार में उपलब्ध है। इसकी बक्रिी भी जमकर हो रही है। मान्यता है कि ये घरौंदे सुख और सौभाग्य के लिए बनाए जाते हैं। घरौंदे में मिठाई, फूल, खील और बताशे रखकर बहन इसको अपने घर की तरह पूजते हैं।
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