कल्पना पटवारी के गीतों पर जमकर थिरके श्रोता, गुलजार हुआ विद्यापति महोत्सव
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समस्तीपुर/विद्यापतिनगर [पदमाकर सिंह लाला] :- कला संस्कृति विभाग के तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय विद्यापति राजकीय महोत्सव के दूसरे दिन गुरुवार को सुप्रसिद्ध भोजपुरी गायिका कल्पना पटवारी के सुरों से महोत्सव की शाम बाग बाग हो उठा। श्रोता दर्शकों ने कल्पना के कर्ण प्रिय गीतों पर खूब प्यार लुटाया। अपनी सुरीली आवाज के जरिए का जादू चला तो पंडाल में मौजूद हजारों की संख्या में उपस्थित श्रोताओं ने तालियों से इस्तकबाल कर बखूबी मनोरंजन किया।
कल्पना जैसे ही विद्यापतिधाम रेलवे मैदान स्थित मंच पर आयी हजारों की संख्या में उपस्थित जनसमूह उनके दीदार को खड़े होकर व तालियों की गड़गड़ाहट के साथ स्वागत किया। अपनी सुरमयी प्रस्तुति के दौरान कल्पना पटवारी ने मंच की शुरुआत विद्यापति जी रचित नचारी जय जय भैरवी असुर भयाउनी पशुपति भावनी भामिनी माया…,ना हमसे भंगिया पिसाई ऐ गणेश के पापा नैहर जात बानी…जेकर नाथ भोलेनाथ उ अनाथ कैसे होई… मरवाओ रें सुगवा धनुष से…जैसे भक्तिमय प्रस्तुति से भक्ति आध्यात्म का रसपान करा महोत्सव की संध्या की सांस्कृतिक संध्या का जीवंतता प्रदान किया। लोग कल्पना के सुरों में खाएं रहें और महोत्सव की रात सुबह की आहट करा गई।
फिर भोजपुरी फिल्मों गीतों हम त नैहर के बानी रसीली की लोगवा पागल कहेला न… कौन दिशा में ले के चला रे बटोहिया… जाई नौकरी पे अभी से न घरे छुट्टी लेकर कुछ और दिन रहीं ये बलम जी…आदि गीतों की प्रस्तुति से उपस्थित जनसमूह गीतों की सुर,लय और ताल ने महफिल में मौजूद सभी लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया। भव्य कला मंच से मुखरित उनकी गायिकी ने श्रोताओं के दिल पर अमिट छाप छोड़ी। जान मारे मरून कलर साड़िया …, झुमका झूलनियां…आदि की प्रस्तुतियों ने महफिल में मौजूद लोगों के मन को झंकृत कर भाव विभोर कर दिया।
नतीजतन उपस्थित लोंगों को रात का अहसास तक नहीं होने दिया। उनकी मखमली आवाज का जादू ऐसा छाया की सांस्कृतिक कार्यक्रम में श्रोताओं ने खूब गोते लगाए। सुर, लय और ताल से ऐसा समां बांधा की उपस्थित श्रोता खड़े होकर तालियां बजाने को मजबूर हो गए। देर रात तक आम से लेकर खास लोग सुर लहरियों में ताल से ताल व सुर से सुर मिलाते रहे। तालियों की गड़गड़ाहट के बीच एक से बढ़ कर एक गीतों ने लोगों को खूब लुभाया। जिला प्रशासन की ओर से कल्पना पाग,अंग वस्त्र व स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया।