25 साल पहले 5 वर्षीया दिव्यांग बच्ची की हत्या मामले में मां व पिता समेत 8 को 10 वर्ष सश्रम कारावास की सजा
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समस्तीपुर/रोसड़ा :- रोसड़ा व्यवहार न्यायालय के एडीजे द्वितीय उमेश कुमार की कोर्ट ने बुधवार को 25 साल पुराने 5 वर्षीया दिव्यांग बच्ची की हत्या मामले में सजा की बिंदु पर सुनवाई पूरी की। इस दौरान तीन हत्यारोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनायी है तथा मृतका के माता-पिता व कई चर्चित चेहरे समेत कुल 08 आरोपियों को दस वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनायी है।
इसमें रोसड़ा थाना क्षेत्र के महुली निवासी आरोपी कृष्ण कांत सुधांशु, उमेश कुमार केसरी व घनश्याम प्रसाद निराला को भादवि 302/149 में दोषी पाते हुए कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनायी तथा 25 हजार रुपये अर्थदंड भी लगाया है। ये तीनों आपस में सहोदर भाई हैं। आरोपी कृष्णकांत हिमांशु व उमेश कुमार केसरी पेशे से अधिवक्ता हैं, घनश्याम प्रसाद निराला शिक्षक हैं।
कोर्ट ने इन दोषियों को 27 आर्म्स एक्ट में सात वर्ष सश्रम कारावास व दस हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनायी। वहीं कोर्ट ने भादवि 147, 148 व 427/149 में दो वर्ष एवं 452/149 में पांच वर्ष कारावास की सजा सुनायी तथा क्रमश: एक हजार रुपए व पांच हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। जुर्माना की राशि अदा नहीं किये जाने पर छह माह अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
वहीं कोर्ट ने मृतका के पिता थाना क्षेत्र के महुली निवासी युगेश्वर यादव व माता कौशल्या देवी एवं इसी गांव के नेपल यादव, शंकर यादव, जीवछ यादव, भुनेश्वर यादव, महेन्द्र यादव तथा भूषण यादव को भादवि 304/149 व 120 बी में दोषी पाते हुए दस वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनायी है तथा 20 हजार रुपये अर्थदंड भी लगाया है। कोर्ट ने मृतका के पिता आरोपी युगेश्वर यादव को 27 आर्म्स एक्ट में दोषी पाते हुए सात वर्ष सश्रम कारावास तथा दस हजार रुपये अर्थदंड एवं भादवि 148 में तीन वर्ष कारावास तथा 5000 रुपये अर्थदंड की सजा सुनायी है। अर्थदंड अदा नहीं किये जाने पर छह माह अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। इसमें जीवछ यादव तत्कालीन उप प्रमुख थे। सुनवाई के दौरान अभियोजन से एपीपी महेन्द्र यादव व बचाव पक्ष से वरीय अधिवक्ता परमेश्वर प्रसाद सिंह, उपेंद्र ठाकुर व राजकुमार ने अपना पक्ष रखा।
गोली मारकर कर दी थी मासूम की हत्या
रोसड़ा। 25 साल पहले 20 जून 1998 को थाना क्षेत्र के महुली गांव में मामूली सी विवाद को लेकर दो पक्षों के बीच हुई तनातनी में एक पांच वर्षीय मासूम बच्ची की गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी। इस मामले में मृतका के पिता युगेश्वर यादव ने पुलिस को दिए गए फर्द बयान में कृष्ण कांत हिमांशु, घनश्याम प्रसाद निराला व उमेश कुमार केसरी समेत तीन अन्य को नामजद किया था। रोसड़ा थाना कांड सं 109/98 में उन्होंने कहा था कि उक्त सभी आरोपी हरवे हथियार से लैस होकर उनके घर आये और ताबड़तोड़ फायरिंग करने लगे। गोली उनकी पांच वर्षीया बच्ची सिकिम कुमारी को लगी, जिससे उसकी मौत हो गयी। वहीं अन्य सदस्यों ने भागकर अपनी जान बचाई।
इस मामले में पुलिस ने उक्त आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट भी दायर किया था। वहीं दूसरी तरफ पांच वर्षीया बच्ची सिकीम कुमारी की हत्या में तब नया मोड़ आ गया था कि जब उसके पिता द्वारा आरोपी ठहराए गए पक्ष की ओर से सुरेश यादव ने न्यायालय में इसी मामले को लेकर अभियोग दायर किया था। जिसमें मृतका के माता-पिता समेत कुल 09 लोगों को आरोपित किया। आवेदक ने अभियोग पत्र में कहा था कि मृतका के माता-पिता व उनके साथियों ने उनलोगों को फंसाने के लिए साजिश रचकर अपनी पुत्री की हत्या कर दी थी। उनकी पुत्री पोलियो की शिकार थी। जिस कारण इनलोगों ने हत्या की साजिश रची।
कोर्ट के आदेश पर रोसड़ा थाना में कांड सं 293/98 दर्ज किया गया। हालांकि रोसड़ा पुलिस ने अनुसंधान में मामले को असत्य बताया और झूठा मुकदमा को लेकर भादवि 182, 211 के तहत मामला भी दर्ज कर लिया। एपीपी रामकुमार ने बताया कि पुलिस द्वारा मामले को असत्य बताए जाने के बाद अभियोगी के द्वारा न्यायालय में प्रोटेस्ट दायर किया गया। जिसे न्यायालय ने गंभीरता से लेते हुए गवाहों का बयान कलमबद्ध किया गया। इसके बाद कोर्ट ने आरोपियों के विरुद्ध संज्ञान लेकर सम्मन निर्गत किया था। तब से मामले में ट्रायल जारी था। एपीपी रामकुमार ने बताया कि अब भी इस मामले में कुछ आरोपियों का सेपरेट ट्रायल चल रहा है।