समस्तीपुर : समस्तीपुर जिले के कोठिया गांव में दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ में शिकार हुए दंपति विजय साह और कृष्णा देवी का शव जब उनके पैतृक गांव पहुंचा, तो वहां भारी शोक की लहर दौड़ गई। इस दौरान परिवार के सदस्यों की आंखों में आंसू थे और गांव में कोहराम मच गया। दंपति की अंतिम यात्रा एक साथ हुई और उनकी चिताएं नून नदी के किनारे एक साथ जलायी गईं। इस मौके पर गांव में भारी संख्या में स्थानीय ग्रामीण और जनप्रतिनिधियों की भीड़ जुटी थी। हालांकि उनकी नतनी सुरुचि कुमारी का शव मुजफ्फरपुर जिले के बरियारपुर अपने दादी के घर लाया गया जहां उसका अंतिम संस्कार किया गया।
दंपति के बेटे ने सुनाई दर्दनाक कहानी :
दंपति के बेटे मुकेश कुमार ने दिल्ली हादसे की दर्दनाक कहानी सुनाई। उन्होंने बताया कि उनके परिवार के करीब 12 सदस्य प्रयागराज कुंभ स्नान के लिए दिल्ली स्टेशन पहुंचे थे और प्लेटफार्म-13 पर ट्रेन का इंतजार कर रहे थे। एक ट्रेन पहले ही प्लेटफार्म से रवाना हो चुकी थी, लेकिन क्योंकि प्लेटफार्म पर अत्यधिक भीड़ थी, कुछ लोग उस ट्रेन में सवार नहीं हो पाए। फिर दूसरी ट्रेन प्लेटफार्म-15 पर आने वाली थी, जिस बारे में घोषणा की गई। जैसे ही यह घोषणा हुई, प्लेटफार्म-15 की ओर जाने के लिए अफरा-तफरी मच गई।
मुकेश ने बताया कि वह अपने माता-पिता, भगिनी और अन्य रिश्तेदारों के साथ प्लेटफार्म-15 की ओर बढ़े, लेकिन अचानक भगदड़ मच गई। लोग अचानक रुक गए और इसके बाद पीछे से आ रहे लोग एक-दूसरे पर चढ़ने लगे। इस दौरान मुकेश खुद गिर पड़ा और वह अपनी मां, पिता और भगिनी को बचा नहीं सका। उन्होंने कहा कि वह उस समय एक पुलिस अधिकारी से मदद की गुहार लगा रहे थे, लेकिन वह भी वहां से भाग गए।
दो घंटे तक कोहराम मचता रहा
मुकेश ने बताया कि हादसे के बाद भी करीब दो घंटे तक प्लेटफार्म पर लोग पड़े रहे। कुछ लोग दर्द से कराह रहे थे, जबकि कई लोगों की जान जा चुकी थी। जब आरपीएफ के लोग मौके पर पहुंचे, तब उन्हें अस्पताल भेजा गया। मुकेश के माता-पिता और भगिनी को मृत घोषित कर दिया गया।
मुकेश कुमार दिल्ली में अपने छोटे भाई नीतीश के साथ रहते हैं। वह पहले किसी अन्य के लिए कबाड़ी का काम करते थे, लेकिन अब उन्होंने अपना खुद का कारोबार शुरू कर दिया है। वह परिवार के साथ दिल्ली में ही रहते है। उनकी इच्छा थी कि पहले परिवार के लोग दिल्ली आएं और फिर सभी मिलकर कुंभ स्नान के लिए जाएं, लेकिन इस हादसे ने उसकी यह इच्छा पूरी नहीं होने दी।
जानकारी के मुताबिक, विजय साह मूलतः ग्रामीण इलाकों में केले का कारोबार करते थे। उसमें परिवार उनका साथ देता था। उनका व्यवसाय उपजने वाले केले की खरीदारी और उसे बाजार में बेचना था। पहले उनके दोनों बेटे मुकेश और नीतीश इस कारोबार में हाथ बंटाते थे, लेकिन आय कम होने के कारण दोनों बेटे दिल्ली काम करने के लिए चले गए। यह हादसा न केवल विजय साह और कृष्णा देवी के परिवार के लिए एक बड़ी त्रासदी है, बल्कि पूरे गांव में भी शोक की लहर है।
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