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समस्तीपुर की अनूठी ‘छतरी होली’, जहां भक्ति, परंपरा और उल्लास के घुलते हैं रंग

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जब बात बिहार की होली की होती है, तो रंगों की मस्ती, लोकगीतों की गूंज और उमंग से भरे नज़ारे आंखों के सामने उभर आते हैं. लेकिन समस्तीपुर के धमौन गांव में मनाई जाने वाली ‘छतरी होली’ सिर्फ रंगों का त्योहार नहीं बल्कि श्रद्धा, संस्कृति और सामूहिक उत्सव का अद्भुत संगम है. यह अनोखी परंपरा बिहार की समृद्ध विरासत का वह चमकता हुआ हिस्सा है, जहां आस्था के रंगों में सराबोर हजारों लोग उत्साह और उमंग के साथ इस पर्व को जीवंत बनाते हैं.

क्या है छतरी होली और क्यों है यह अद्वितीय?

समस्तीपुर जिले के पटोरी प्रखंड में स्थित धमौन गांव में हर साल होली के दिन एक भव्य शोभायात्रा निकाली जाती है. जिसमें लोग बांस से बनी रंग-बिरंगी छतरियां लेकर चलते हैं. यह छतरियां कोई साधारण सजावट नहीं, बल्कि इस गांव की पहचान और श्रद्धा का प्रतीक हैं.

होली की सुबह पूरे गांव के लोग स्वामी निरंजन मंदिर में एकत्र होते हैं. जहां अबीर-गुलाल अर्पित कर, पारंपरिक वाद्ययंत्रों के साथ फगुआ और चैती गीतों की मधुर स्वर लहरियां गूंजने लगती हैं. फिर शुरू होता है छतरियों का भव्य जुलूस, जो नाचते-गाते, गुलाल उड़ाते महादेव मंदिर की ओर बढ़ता है. पूरे रास्ते गांव की गलियां रंगों और उल्लास से सराबोर हो जाती हैं.

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छतरी होली की ऐतिहासिक परंपरा

इस उत्सव की जड़ें लगभग 200 वर्षों पुरानी हैं. मान्यता है कि इस अनोखी होली का प्रारंभ गांव के लोगों ने अपने आराध्य स्वामी निरंजन की कृपा प्राप्त करने के लिए किया था. धीरे-धीरे यह आयोजन इतना भव्य हो गया कि आज यह बिहार की सांस्कृतिक धरोहर बन चुका है.

गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि यह परंपरा सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि गांव के लोगों को आपस में जोड़ने और समाज में एकता को मजबूत करने का भी माध्यम रही है. छतरी होली का आयोजन प्रेम, सौहार्द्र और सामूहिक भक्ति का संदेश देता है.

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कैसे बनाई जाती हैं ये अनूठी छतरियां?

गांव के हर टोले में 30 से 35 छतरियां तैयार की जाती हैं. इन्हें महीनों पहले बांस की पतली-पतली पट्टियों से तैयार किया जाता है और फिर रंगीन कागज, घंटियों और पारंपरिक कलाकृतियों से सजाया जाता है. जब ये छतरियां गांव की गलियों में लहराती हैं, तो नजारा किसी उत्सव से कम नहीं होता. हर तरफ ढोल-नगाड़ों की गूंज, अबीर-गुलाल की उड़ान और उत्साह से भरे लोगों की टोलियां इस दृश्य को अविस्मरणीय बना देती हैं.

छतरी होली: आस्था, रंग और उमंग का प्रतीक

छतरी होली केवल एक त्योहार नहीं, यह बिहार की सांस्कृतिक समृद्धि, लोक परंपरा और सामूहिक भक्ति का प्रतीक है. यहां रंग सिर्फ चेहरे पर नहीं, बल्कि आत्मा पर चढ़ते हैं और यह पर्व हर साल एक नई ऊर्जा के साथ लोगों के मन में प्रेम और एकता का रंग घोल देता है.

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क्या आप भी बनना चाहते हैं इस अनोखी होली का हिस्सा?

अगर आप सच में एक ऐसी होली का अनुभव करना चाहते हैं, जहां संस्कृति, आस्था और उल्लास का अनूठा संगम हो, तो अगले साल धमौन गांव की छतरी होली का हिस्सा जरूर बनें. यह नज़ारा न केवल आपकी आंखों में बस जाएगा, बल्कि आपके दिल में भी हमेशा के लिए अपनी छाप छोड़ जाएगा.

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