समस्तीपुर :- डाॅक्टर को धरती का भगवान कहा जाता है, लेकिन इस पेशे की आड़ में अवैध तरीके से क्लीनिक, नर्सिंग होम व अस्पताल मरीजों के आर्थिक दोहन का पेशा बन चुका है। इस तरह के क्लीनिक, नर्सिंग होम व निजी अस्पतालों में अक्सर मरीजों की जान जाने की खबरें आती रहती है।
जिले में अवैध अस्पतालों और नर्सिंग होम की लापरवाही जानलेवा साबित हो रही है। मरीजों को इलाज के नाम पर लूटने वाले और उनके जीवन के साथ खिलवाड़ करने वाले इन संस्थानों पर प्रशासन की ढील का नतीजा यह है कि ये अस्पताल न तो किसी मानक का पालन कर रहे हैं और न ही स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोई ठोस कार्रवाई हो रही है। विभागीय कार्रवाई बिल्कुल शुन्य है।
स्वास्थ्य विभाग से मिले आंकडों के अनुसार समस्तीपुर जिले में केवल 105 अस्पताल व स्वास्थ्य केंद्र ही निबंधित हैं। जबकि हर प्रखंड में 20 से अधिक की संख्या में अवैध अस्पतालों का संचालन हो रहा है। हर घटना के बाद विभाग ऐसे स्वास्थ्य संस्थानों पर कार्रवाई करने की बात तो कहता है, लेकिन उन पर कार्रवाई नहीं होती है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिले में कुल 105 नर्सिंग होम और अस्पताल ही पंजीकृत हैं।
वहीं, उसके अलावा जितने भी ऐसे निजी स्वास्थ्य संस्थान हैं वह पूरी तरह से अवैध रूप से संचालित हो रहे हैं और मरीजों के जीवन से खिलवाड़ कर रहे हैं। वहीं, स्वास्थ्य विभाग के अनुसार पूसा, बिथान, विद्यापतिनगर, मोहनपुर और मोरवा प्रखंड का एक भी निजी अस्पताल अथवा क्लिनिक विभाग से निबंधित नहीं है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार पिछले वर्ष उसने ऐसे 20 स्वास्थ्य संस्थानों को नोटिस देने की बात कही थी।
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