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समस्तीपुर नगर निगम के वार्ड संख्या-16 स्थित मुसहर टोली में घरेलू कार्य के लिये नाले के पानी का इस्तेमाल करना बना मजबूरी 

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समस्तीपुर : मुसहर समुदाय, सामाजिक रूप से हाशिए पर पड़ा समुदाय है, जो भारत की जाति व्यवस्था में सबसे निचले पायदान पर है। नगर निगम क्षेत्र के वार्ड संख्या-16 में मुसहर समुदाय का लगभग डेढ़ सौ घर है। इस बस्ती के लोग पेयजल संकट से जूझ रहे हैं। सरकारी योजना के तहत बस्ती में लगाए गए चापाकल खराब हो चुके हैं। वहीं लगभग दो वर्षों से अधिक समय से नल जल योजना भी इस टोले में बंद है। लोगों का बताना है कि गुणवत्ता पूर्ण कार्य न होने के कारण नलजल शीघ्र ही खराब हो गए, जिसे अब तक ठीक नहीं कराया जा सका है।

दिनेश सदा ने बताया कि घरेलू उपयोग के लिये हमलोग नाले के पानी का उपयोग करते हैं। रेलवे काॅलोनी से निकलने वाले नाले के पानी के जमा होने पर उसे बाल्टी में भरकर घर ले जाते हैं फिर घरेलू उपयोग करते हैं। भोला सदा ने बताया कि कभी-कभी मजबूरी में इसी पानी को पी भी लेते हैं। आसपास कहीं भी चापाकल की व्यवस्था नहीं है। रेलवे के टंकी से चुने वाले पानी को भी बाल्टी लगाकर पीने का उपयोग करते हैं। इसको लेकर स्थानीय वार्ड सदस्य को कई बार शिकायत की गई लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

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अशोक सदा का कहना है की हम लोग भी इंसान है। भूख-प्यास हमें भी लगती है लेकिन हमारे लिए ना ही स्थानीय प्रशासन सोचती है ना ही सरकार। मुसहरों को महादलित का दर्जा दिया गया है, जिससे वे विभिन्न सरकारी योजनाओं के लिए पात्र हो गए हैं। लेकिन ये समुदाय गरीबी और पिछड़ेपन से बाहर निकलने में विफल रहे हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं, स्वच्छ पेयजल और रोजगार की कमी का मुख्य कारण जातिगत भेदभाव है। इस टोले में एक प्राथमिक विद्यालय भी है जहां मुलभूत सुविधा तक नहीं है।

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विद्यालय के बाहर भी एक चापाकल था वह भी खराब स्थिति में है। साजन सदा ने बताया कि वर्षों पहले हमे सरकार की तरफ से पक्का मकान दिया गया था जहां हमलोग रहते हैं। आज यह पूरी तरह जर्जर हो चुका है, जिस कारण यह जानलेवा बना हुआ है। मरम्मत के अभाव में कई हिस्सों में दरारें आ चुकी हैं और छतें टूट कर गिर रही हैं। ऐसे में कभी भी यह मकान गिरकर बड़ी त्रासदी का कारण बन सकता है। प्रशासन की बेरुखी और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण यहां रहने वाले लोग रोज मौत के साए में जीने को मजबूर हैं।

गर्मी, बरसात और ठंड में जीना हो जाता है मुहाल:

मुसहर टोले की रहने वाले नरेश सदा ने बताया कि नगर निगम या जिला प्रशासन के द्वारा हमें कोई भी सुविधा उपलब्ध नहीं करायी जाती है। हम बद से बदतर स्थिति में रहने को मजबूर हैं। पीने के साफ पानी तक के लिये तरसते है। मजबूरी में नाले के पानी से नहाना पड़ता है। कपड़ा और बर्तन भी उसी पानी से साफ करते हैं। वहीं जर्जर मकान के कारण बरसात के मौसम में बहुत मुसीबत होती है। छत से पानी टपकता रहता है और हमलोग छोटे- छोटे बच्चे लेकर रात गुजारते हैं। सरकार के द्वारा कई दशकों से शिक्षा पोषण और पक्के घरों जैसी मूलभूत सुविधाओं से हमलोगों को वंचित रखा गया है। कई बार हमने स्थानीय वार्ड पार्षद से लेकर अलग-अलग अधिकारियों तक से इसकी शिकायत की। लेकिन अभी तक इस ओर कोई पहल नहीं की गई। नेता यहां सिर्फ वोट मांगने आते हैं। चुनाव जीतने के बाद कोई लौटकर हमें देखने तक नहीं आता। ठंड और गर्मी में भी वही हाल। जनवरी और फरवरी की शीतलहर से हमारा जीना मुहाल हो जाता है। वहीं गर्मियों में सूर्य की तपिश से हम सब परेशान रहते हैं।

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मुसहर समुदाय के वार्ड में पानी की गंभीर समस्या, गड्ढों से नाले का गंदा पानी लेने को मजबूर :

जितवारपुर निजामत वार्ड संख्या-16 में मुसहर समुदाय के लोगों को स्वच्छ पेयजल के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। यहां के लोगों को पीने के पानी की गंभीर समस्या है, जिससे लोग मजबूरी में गड्ढों से रेलवे काॅलोनी से निकलने वाले गंदे पानी इस्तेमाल करने को विवश हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार, इलाके में हैंडपंप और नल की सुविधा नहीं है। जो कुछ हैंडपंप लगे भी हैं, वे या तो खराब पड़े हैं या उनमें से पानी नहीं आ रहा है। नल जल का सप्लाई भी लगभग 2 वर्षों से ठप है। मुसहर समुदाय की महिलाएं और बच्चे दिनभर पानी के इंतजाम में ही लगे रहते हैं।

सुबह होते ही महिलाएं सिर पर बर्तन रखकर पानी लाने के लिए सोने लाल ढाला के पास गड्डे से पानी निकालने के लिये निकल पड़ती हैं। लोगों का कहना है कि इस पानी के उपयोग से कई लोगों को बीमारियां हो रही हैं, लेकिन उनकी परेशानी सुनने वाला कोई नहीं है। आनंद सदा का बताना है कि “हमने कई बार प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से पानी की समस्या को हल करने की मांग की, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। हमें साफ पानी तक मयस्सर नहीं है, जिससे बीमारियां बढ़ रही हैं। जानवरों से बदतर स्थिति में जीने को मजबूर हैं।”

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समस्या :

1. मुसहर टोली में पेयजल की व्यवस्था नहीं है।

2. एक भी हैंडपंप चालू स्थिति में नहीं है।

3. नल-जल योजना का सप्लाई भी लगभग दो वर्षों से बंद है

4. जनप्रतिनिधियों व पदाधिकारियों के द्वारा मुसहर की समस्या के निदान के लिये नहीं किया जा रहा काम

5. गंदा पानी उपयोग करने के कारण चर्म रोग समेत अन्य प्रकार की बीमारी से हो रहे ग्रसित

सुझाव :

1. मुसहर टोली में पेयजल की व्यवस्था होनी चाहिए।

2. खराब पड़े हैंडपंप को ठीक कराया जाए।

3. वर्षों से बंद नल-जल योजना का सप्लाई शुरू कराया जाए।

4. जनप्रतिनिधियों व पदाधिकारियों के द्वारा मुसहर समुदाय की समस्या के निदान के लिये पहल की जाए।

5. गंदा पानी उपयोग करने के कारण चर्म रोग समेत अन्य प्रकार की बीमारी से ग्रसित लोगों का इलाज कराया जाए।

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बोले पीड़ित :

हमलोग पेयजल संकट से जूझ रहे हैं। सरकारी योजना के तहत बस्ती में लगाए गए चापाकल खराब हो चुके हैं। वहीं लगभग दो वर्षों से अधिक समय से नल जल योजना भी इस टोले में बंद है।

दिनेश सदा

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चापाकल और नल-जल का गुणवत्ता पूर्ण कार्य न होने के कारण शीघ्र ही खराब हो गया, जिसे अब तक ठीक नहीं कराया जा सका है।

भोला सदा

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घरेलू उपयोग के लिये हमलोग नाले के पानी का उपयोग करते हैं। रेलवे काॅलोनी से निकलने वाले नाले के पानी के जमा होने पर उसे बाल्टी में भरकर घर ले जाते हैं फिर घरेलू उपयोग करते हैं।

साजन सदा

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आसपास कहीं भी चापाकल की व्यवस्था नहीं है। रेलवे के टंकी से चुने वाले पानी को भी बाल्टी लगाकर पीने का उपयोग करते हैं। इसको लेकर स्थानीय वार्ड सदस्य को कई बार शिकायत की गई लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

अशोक सदा

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हम लोग भी इंसान है, भूख-प्यास हमें भी लगती है लेकिन हमारे लिए ना ही स्थानीय प्रशासन सोचती है ना ही सरकार। जानवर से भी बदतर स्थिति में जीने को मजबूर हैं।

अशर्फी सदा

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हम मुसहरों को महादलित का दर्जा दिया गया है, जिससे हम विभिन्न सरकारी योजनाओं के पात्र तो हो गए हैं। लेकिन हमें किसी भी योजना का उचित लाभ नहीं मिलता है।

नरेश सदा

इस टोले में एक प्राथमिक विद्यालय भी है जहां मुलभूत सुविधा तक नहीं है। विद्यालय के बाहर भी एक चापाकल था वह भी खराब स्थिति में है। ना ही हमारे टोले में शौचालय की व्यवस्था है।

मीना देवी

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वर्षों पहले हमे सरकार की तरफ से पक्का मकान दिया गया था जहां हमलोग रहते हैं। आज यह पूरी तरह जर्जर हो चुका है, जिस कारण यह जानलेवा बना हुआ है। मरम्मत के अभाव में कई हिस्सों में दरारें आ चुकी हैं और छतें टूट कर गिर रही हैं।

चुलीया देवी

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नगर निगम या जिला प्रशासन के द्वारा हमें कोई भी सुविधा उपलब्ध नहीं करायी जाती है। हम बद से बदतर स्थिति में रहने को मजबूर हैं। पीने के साफ पानी तक के लिये तरसते है।

सुदामा देवी

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हमें पीने को साफ पानी तक नहीं मिलता है। नहाने के लिए नाले के पानी का उपयोग करना पड़ता है। कपड़ा और बर्तन भी उसी पानी से साफ करते हैं।

निर्मला देवी

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पेयजल की समस्या को लेकर कई बार हमने स्थानीय वार्ड पार्षद से लेकर अलग-अलग अधिकारियों तक से इसकी शिकायत की। लेकिन अभी तक इस ओर कोई पहल नहीं की गई।

मंजू देवी

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यहां के लोगों को पीने के पानी की गंभीर समस्या है, जिससे लोग मजबूरी में गड्ढों से रेलवे काॅलोनी से निकलने वाले गंदे पानी इस्तेमाल करने को विवश हैं।

शंभू सदा

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इस पानी के उपयोग से कई लोगों को बीमारियां हो रही हैं, लेकिन उनकी परेशानी सुनने वाला कोई नहीं है।

आनंद सदा

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क्या बोले जिम्मेवार :

नगर निगम क्षेत्र के हर वार्ड में जल की व्यवस्था है। हिंदुस्तान अखबार के द्वारा वार्ड-16 के मुसहर टोली में चापाकल व नल-जल खराब होने पर लोगों द्वारा गंदे नाली के पानी के उपयोग किये जाने की जानकारी दी गई है। इसकी जांच करायी जा रही है। अगर पानी की वयवस्था नहीं है तो वहां पानी उपलब्ध कराया जाएगा।

केडी प्रौज्जवल, नगर आयुक्त, समस्तीपुर

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