समस्तीपुर : रेलवे द्वारा रिहायशी इलाके में कचरा डंप किया जा रहा है। अधजली बीड़ी-सिगरेट फेंकने या अन्य कारणों से कचरे के ढेर में कभी-कभी आग लग जाती है, जिससे निकलनेवाला धुआं मुहल्ले में फैल जाता है। इसके जहरीले धुएं से खासकर सांस, फेफड़ा, यक्षमा, आंख के मरीजों को परेशानी होती है। जो स्वस्थ्य हैं, वह भी इस धुआं के कारण बीमार हो सकते हैं। पर्यावरण के अलावा पशु-पंक्षियों के भी स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। शहर के मगरदही वार्ड संख्या-36 में केंद्रीय विद्यालय के पास रेलवे स्टेशन, डीजल शेड व हाॅस्पीटल समेत अन्य जगहों का कचरा डंप किया जा रहा है।
इसमें से निकलनेवाली सड़ांध बदबू न सिर्फ आसपास के लोगों को परेशान करती है, बल्कि राहगीर भी त्रस्त रह रहे हैं। मुहल्ले के लोगों का बताना है कि हमलोगों की परेशानी तब और बढ़ जाती है जब कचरा के ढेर को किसी के द्वारा जला दिया जाता है। इसके जहरीले धुआं से घरों में रहना मुश्किल हो जाता है। खांसी होने लगती है। इससे सबसे ज्यादा परेशानी परिवार के बीमार सदस्यों को झेलनी पड़ रही है। जहरीले धुएं से लगभग सैकड़ों घर प्रभावित हो रहे हैं। खासकर बच्चों, बुजुर्गों व गर्भवती महिलाओं के लिये यह किसी जहर से कम नहीं है।
बताया गया है कि इन कचरों के ढेर में मोबिल, प्लास्टिक, ट्यूबलाइट, बल्ब, सीएफएल, खिलौनों की बैट्री, लोहा, मेडिकल वेस्ट आदि शामिल रहते हैं। बच्चों के आधुनिक खिलौनों में जो बैट्री इस्तेमाल होती है, वह घातक रसायनों (विषैले तत्त्वों) के सम्मिश्रण से तैयार की जाती है और तोड़ने पर पर्यावरण को प्रदूषित करती है। इलेक्ट्रॉनिक चीजों को बनाने में काम आने वाली सामग्री में ज्यादातर कैडमियम, निकेल, क्रोमियम, एंटीमोनी, आर्सेनिक, बेरिलियम और पारे का इस्तेमाल किया जाता है। यह सभी पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए घातक हैं।
मुहल्ले के रितेश कुमार सिन्हा ने बताया की कचरे में आग लगते ही आसपास के इलकों में समस्या बढ़ जाती है। कचरे ढ़ेर से निकल रहे धुंए से लोगों का दम घुटने लगता है। लोगों का जीना दूभर हो जाता है। जिससे शहरी क्षेत्र में प्रदूषण फैलता जा रहा है। जिसका प्रकोप दिन प्रति दिन बढ़ता ही जा रहा है। शहरी क्षेत्र का दायरा व जनसंख्या बढ़ने के बाद समस्या और अधिक बढ़ता ही जा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस धुएं में कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, डाइऑक्सिन और अन्य विषैले गैसें होती हैं, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक हैं। खासतौर पर अस्थमा, फेफड़ों की बीमारी (सीओपीडी), टीबी (यक्ष्मा) और आंखों की एलर्जी से पीड़ित लोगों के लिए यह धुआं और भी खतरनाक साबित हो सकता है।
गृहणी रितू कुमारी का कहना है कि मुहल्ले वालों ने कई बार रेलवे प्रशासन, जिला प्रशासन व नगर निगम से शिकायत की है, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। स्थानीय निवासी गौतम कुमार ने बताया, “हमने कई बार अधिकारियों से अनुरोध किया कि हमारे इलाके में कचरा डंप न किया जाए, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही। जब कचरे में आग लगती है, तो हमें सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है।” वहीं, संजय कुमार रजक ने बताया, “हमारे घर के पास कचरा डंप किया जाता है, जिससे बदबू और धुआं हमारे घरों में घुस जाता है। बच्चे और बुजुर्ग इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। अगर जल्द ही कोई समाधान नहीं निकला, तो हम आंदोलन करेंगे।” अशोक कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि रिहायशी इलाकों में कचरा डंपिंग और उसके जलने से उत्पन्न धुएं की समस्या से नागरिकों को गंभीर स्वास्थ्य खतरे झेलने पड़ रहे हैं। स्थानीय लोगों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है, लेकिन प्रशासन की ओर से इस मुद्दे पर अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकाला गया है। अगर समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो यह एक बड़ा स्वास्थ्य संकट बन सकता है।
जहां पर कचरा डंप किया जा रहा है वहां पर केंद्रीय विद्यालय भी स्थित है। कचरे से निकलने वाले धुएं में कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, डाइऑक्सिन और अन्य विषैले गैसें होती हैं, जिससे विद्यालय में मौजूद बच्चे व शिक्षक भी परेशान हैं। इससे निकलने वाले दुर्गंध व जहरीली गैस वातावरण में रहती हैं। जब कचरे के ढेरों में आग लगा दी जाती है, तब चारों ओर धुंआ ही धुंआ रहता है। जो हवा के साथ विद्यालय के कमरों में घुसता है। ऐसे में बच्चे आंखों में जलन व जी मिचलाने की शिकायतें रहती हैं। जिला प्रशासन व रेलवे प्रशासन को मिल कर इस समस्या का निराकरण करना चाहिए।
मुहल्ले में जो व्याप्त समस्याएं हैं उसको लेकर रेलवे व नगर निगम के अधिकारियों से बातचीत कर इसके निदान के लिए पहल की जाएगी। सघन इलाके में कचरा जलाना काफी गंभीर मामला है।
– दिलीप कुमार, सदर एसडीओ, समस्तीपुर
——
रेलवे प्रशासन भी इस समस्या से काफी चिंतित है। यहां पर नगर निगम के द्वारा कचरे में आग लगायी जा रही है जिस कारण लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकुल असर पर रहा है। इसको बंद करने को लेकर नगर आयुक्त को पत्र भी लिखा गया है। उम्मीद है नगर निगम इसमें सहयोग करेगा। आग लगाने वाले व्यक्ति को चिन्हित कर उसपर कारवाई की जाएगी।
– विनय श्रीवास्तव, डीआरएम, समस्तीपुर
कचरा डंपिंग और उसके जलने से उत्पन्न धुएं की समस्या से हमलोगों को गंभीर स्वास्थ्य खतरा झेलना पड़ रहा हैं। स्थानीय लोगों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है, लेकिन प्रशासन की ओर से इस मुद्दे पर अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकाला गया है। अगर समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो यह एक बड़ा स्वास्थ्य संकट बन सकता है।
– रितू कुमारी
——
रेलवे द्वारा रिहायशी इलाके में कचरा डंप किया जा रहा है। इस पर तत्काल रोक लगे। आसपास सैकड़ों घर इससे प्रभावित हो रहे हैं।
– रितेश कुमार सिन्हा
———
जहरीले धुएं से खासकर सांस, फेफड़ा, यक्षमा, आंख के मरीजों को परेशानी होती है। जो स्वस्थ्य हैं, वह भी इस धुआं के कारण बीमार हो सकते हैं। पर्यावरण के अलावा पशु-पंक्षियों के भी स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है।
– गौतम कुमार
——
सबसे ज्यादा परेशानी परिवार के बीमार सदस्यों को झेलनी पड़ रही है। जहरीले धुएं से लगभग सैकड़ों घर प्रभावित हो रहे हैं। खासकर बच्चों, बुजुर्गों व गर्भवती महिलाओं के लिये यह किसी जहर से कम नहीं है।
– संजय कुमार रजक
——
यहां पर रेलवे के खराब इलेक्ट्रॉनिक चीजों को भी फेंका जाता। इसे बनाने में काम आने वाली सामग्री में ज्यादातर कैडमियम, निकेल, क्रोमियम, एंटीमोनी, आर्सेनिक, बेरिलियम और पारे का इस्तेमाल किया जाता है। यह सभी पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए घातक हैं।
– अशोक कुमार श्रीवास्तव
——-
कचरे के ढ़ेर से निकल रहे धुंए से लोगों का दम घुटने लगता है। लोगों का जीना दूभर हो जाता है। घरों में खाना भी ठीक से नहीं खा पाते हैं।
– नरेंद्र पासवान
——-
इस धुएं में कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, डाइऑक्सिन और अन्य विषैले गैसें होती हैं, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक हैं। जिला प्रशासन और रेलवे प्रशासन को सामंजस्य स्थापित कर इसका निराकरण करना चाहिए।
– शांति सिंहा
——
अस्थमा, फेफड़ों की बीमारी (सीओपीडी), टीबी (यक्ष्मा) और आंखों की एलर्जी से पीड़ित लोगों के लिए यह धुआं और भी खतरनाक है। हमलोग जब पढ़ाई करते हैं तो धुएं के कारण आंखों में जलन होती है, जिससे हमारी पढ़ाई भी प्रभावित होती है।
– मोनिका
——
मुहल्ले वालों ने कई बार रेलवे प्रशासन, जिला प्रशासन व नगर निगम से शिकायत की है, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। हमलोगों का जीना मुहाल हो गया है।
– चंदू कारविन
——
हमने कई बार अधिकारियों से अनुरोध किया कि हमारे इलाके में कचरा डंप न किया जाए, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही। जब कचरे में आग लगती है, तो हमें सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है।
– पियूष झा
———
हमारे घर के पास कचरा डंप किया जाता है, जिससे बदबू और धुआं हमारे घरों में घुस जाता है। बच्चे और बुजुर्ग इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। अगर जल्द ही कोई समाधान नहीं निकला, तो हम आंदोलन करेंगे।
– पांडव कुमार
—–
जहां पर कचरा डंप किया जा रहा है वहां पर केंद्रीय विद्यालय भी स्थित है। कचरे से निकलने वाले जहरीले गैस से विद्यालय में मौजूद बच्चे व शिक्षक भी परेशान हैं।
– विक्की कुमार
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि ‘यदि आप पर कोई आपराधिक मुकदमा न हो…
यहां क्लिक कर हमसे व्हाट्सएप पर जुड़े समस्तीपुर/विभूतिपुर [केशव बाबू] :- विभूतिपुर थाना क्षेत्र के…
यहां क्लिक कर हमसे व्हाट्सएप पर जुड़े समस्तीपुर :- जिलाधिकारी रोशन कुशवाहा की अध्यक्षता में…
यहां क्लिक कर हमसे व्हाट्सएप पर जुड़े समस्तीपुर/पूसा :- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय…
बिहार के चर्चित यूट्यूबर मनीष कश्यप ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से इस्तीफा देने का…
बिहार के सहरसा से नई दिल्ली जा रही वैशाली सुपरफास्ट ट्रेन के जनरल कोच में…