समस्तीपुर : शहर के काशीपुर वार्ड संख्या–34 में मंगलवार की सुबह उस समय सनसनी फैल गयी जब स्थानीय लोगों ने कचरे के ढेर में इंसान का कटा हुआ पैर देखा। कचरे के ढेर में मानव शरीर का अंग बरामद होने की सूचना से शहर में सनसनी फैल गई। यह अंग किसी युवक का था जिसे काटकर फेंका गया है। हालांकि नगर निगम के सफाई कर्मियों द्वारा इसे बोरे में डालकर ले जाया गया जो बड़ी लापरवाही है। पैर किसी 30 से 35 वर्षीय युवक का प्रतित हो रहा था। घटनास्थल पर पैर के अलावा कोई मानव अंग नहीं मिला।
स्थानीय कुछ लोगों ने कहा की युवक का बीमारी के चलते अस्पताल में पैर काटा गया है या फिर वह किसी बड़ी घटना का शिकार हुआ है यह अभी कह पाना मुश्किल है। निगम के सफाइकर्मी द्वारा पुलिस को भी इसकी सूचना नहीं दी गयी जो बड़ी लापरवाही है। हालांकि स्थानीय पार्षद प्रतिनिधि विजय कुशवाहा ने आशंका जतायी है कि युवक का किसी अस्पताल में किसी बीमारी की वजह से पैर काटा गया होगा औल उसे लापरवाहीपूर्वक कचरे के ढेर में फेंक दिया गया है।
इस घटना पर उन्होंने नाराजगी जताते हुए कहा कि इलाके में खुलेआम मेडिकल वेस्ट फेंका जा रहा है। उन्होंने बताया, “कभी नवजात बच्चे का शव तो कभी इंसानी अंग यहां कचरे में मिल रहा है। यह बेहद खतरनाक और अमानवीय है।” उन्होंने आरोप लगाया कि क्षेत्र में अवैध रूप से कई अस्पताल कुकुरमुत्ते की तरह उग आए हैं, जहां बिना किसी निगरानी के मेडिकल कचरा सीधे कूड़े में फेंका जा रहा है। प्रशासन की लापरवाही पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि बार-बार शिकायत के बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि अवैध रूप से संचालित हो रहे अस्पतालों की जांच हो और मेडिकल वेस्ट के सुरक्षित निष्पादन की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। वहीं, इस संबंध में सिविल सर्जन डॉ. एसके चौधरी ने भी अवैध नर्सिंग होम चलने की बात मानी है। उन्होंने कहा है कि कचरे के ढ़ेर से इंसान का कटा हुआ पैर मिलने के मामले में कमेटी बनाकर जांच की जाएगी।
सिविल सर्जन कार्यालय से मिली सूची के अनुसार समस्तीपुर जिले भर में कुल 105 अस्पताल व नर्सिंग होम पंजीकृत है। वहीं इस समय करीब 400-500 से अधिक अवैध निजी क्लीनिक, जांच घर, लैब और नर्सिंग होम संचालित हो रहे हैं, जिनमें इलाज के नाम पर भारी अनियमितताएं और लापरवाही हो रही है। एक कमरे या हाॅल के बाहर किसी डॉक्टर का बोर्ड लगा वहां कंपाउंडर के द्वारा ही इलाज कर दिया जा रहा है। इन अवैध नर्सिंग होम पर कोई कार्रवाई न होने के कारण संचालकों में भय का माहौल नहीं है। ऐसा ही एक मामला मुसरीघरारी थाना क्षेत्र का है जहां 20 अप्रैल 2024 को चिकित्सक की अनुपस्थिति में कंपाउंडर ने एक महिला रोगी की सर्जरी कर दी थी, जिससे महिला की मौत हो गई थी।
सदर अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को अक्सर निजी क्लीनिकों और नर्सिंग होमों में रेफर कर दिया जाता है, जहां उनसे मोटी रकम वसूली जाती है। सदर अस्पताल के इमरजेंसी विभाग में तैनात कुछ कर्मी खुद दलालों के संपर्क में रहते हैं और मरीजों को बिना उचित इलाज के निजी क्लीनिकों में भेज देते हैं। कई बार तो मरीजों को डॉक्टर के पास जाने तक का मौका नहीं मिलता और एंबुलेंस में ही सीधे क्लीनिक भेज दिया जाता है।
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