समस्तीपुर में बन रहा FSL लैब, अब फारेंसिंग जांच के लिए मुजफ्फरपुर पर नहीं रहना होगा निर्भर, जांच में आएगी तेजी
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समस्तीपुर : आपराधिक वारदातों का वैज्ञानिक तरीके से अनुसंधान करने के लिए समस्तीपुर में विधि विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) को स्थापित किया जा रहा है। पुलिस लाइन परिसर में इसका भवन करीब 90 प्रतिशत बनकर तैयार हो चुका है। आने वाले कुछ महीनों में इसे शुरू कर दिया जाएगा। इस प्रयोगशाला के यहां बनने से जिले भर में कोई वारदात होने पर यहीं से टीम घटनास्थल पर जाकर जांच करेगी और प्रयोगशाला में रिपोर्ट तैयार करेगी। इससे वारदात होने के बाद जांच प्रक्रिया शुरू करने में समय की बर्बादी नहीं होगी।

बता दें की नए आपराधिक कानूनों के तहत सात साल से अधिक की सजा वाले मामलों में एफएसएल जांच अनिवार्य कर दी गई है। जिसके कारण सैंपल जांच की मांग में तेजी आई है। इस मांग को पूरा करने के लिए अब जिले में ही आधुनिक सुविधाओं से लैस विधि विज्ञान प्रयोगशाला स्थापित की जा रही है। निर्माण कार्य पूरा होने के बाद यहां फॉरेंसिक जांच के लिए अत्याधुनिक उपकरण उपलब्ध कराए जाएंगे। इनमें तुलनात्मक माइक्रोस्कोप, बुलेट पुलर, हॉट एयर ओवन, डिजिटल वेटिंग बैलेंस, यूवी लैम्प, रेफ्रिजरेटर, इंक्यूबेटर, फायरिंग बॉक्स और पीएच मीटर जैसे उपकरण शामिल हैं, जो विभिन्न प्रकार की जांचों को तेज और सटीक बनाएंगे।
पुलिस जांच का अहम हिस्सा एफएसएल :
दरअसल, नये आपराधिक कानूनों के लागू होने के बाद एफएसएल पुलिस जांच का अहम हिस्सा हो गया है। सात साल से अधिक सजा वाले अपराध में एफएसएल जांच अनिवार्य कर दी गयी है। पहले यह अनिवार्यता नहीं थी। ऐसे में एफएसएल जांच के प्रदर्शों के सैंपल की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है।

जांच के लिए नहीं जाना पड़ेगा मुजफ्फरपुर :
अभी समस्तीपुर में मोबाइल फोरेंसिक लैब कार्यरत है, जो अपराधों से जुड़े फिंगरप्रिंट, मोबाइल डेटा, हथियारों, खून, बाल, कपड़े और अन्य फॉरेंसिक साक्ष्य का सैंपल संग्रह कर जांच के लिये मुजफ्फरपुर भेजती है। इसमें एक से दो हफ्ते का समय लग जाता है, जिसके कारण अपराध अनुसंधान में देरी होती है और कई बार अपराधियों को सजा दिलाने में बाधा आती है।
पुलिस लाइन परिसर में एफएसएल लैब शुरू होने के बाद सैंपल जांच स्थानीय स्तर पर होगी, जिससे अनुसंधान में तेजी आएगी और अपराधियों को पकड़ने व अदालत में पुख्ता साक्ष्य पेश करने में मदद मिलेगी। खासकर हत्या, दुष्कर्म, चोरी और हथियारों से जुड़े मामलों में वैज्ञानिक जांच से पुलिस की कार्रवाई और भी मजबूत होगी। अब तक पुलिस को अपराधियों के फिंगरप्रिंट सैंपल और अन्य फॉरेंसिक साक्ष्य जांच के लिए मुजफ्फरपुर स्थित एफएसएल लैब पर निर्भर रहना पड़ता था। मुजफ्फरपुर में अन्य जिलों से भी सैंपल भेजे जाते हैं, जिससे जांच प्रक्रिया लंबी हो जाती थी।

पुलिस लाइन में जल्द खुलेगा पालना घर भी :
पुलिस लाइन उपाधीक्षक सुनील कुमार सिंह ने बताया कि आने वाले दिनों में पुलिस लाइन में पालना घर की भी शुरूआत की जाएगी। इसके लिये कमरा भी चिन्हित कर लिया गया है। अब पुलिस विभाग में कार्यरत महिला और पुरुष पुलिसकर्मी अपने छोटे बच्चों की देखभाल की चिंता किए बिना पूरी तन्मयता से ड्यूटी कर सकेंगे।
यह पहल खास तौर पर उन महिला पुलिसकर्मियों के लिए बेहद फायदेमंद साबित होगी, जिन्हें ड्यूटी और बच्चों की देखभाल के बीच संतुलन बनाने में परेशानी होती थी। अब वह अपने बच्चों को पालना घर में छोड़कर निश्चिंत होकर अपने कार्य पर ध्यान दे सकेंगे। पालना घर में बच्चों की देखभाल के लिए प्रशिक्षित सहायिकाएं तैनात की जाएगी, साथ ही बच्चों के खेलने, पढ़ने और आराम करने की सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाएगी। पुलिस उपाधीक्षक ने बताया कि इस सुविधा से पुलिस बल की कार्यक्षमता और मनोबल दोनों में वृद्धि होगी।
बाइट :
अभी समस्तीपुर में मोबाइल फोरेंसिक लैब कार्यरत है, जो अपराधों से जुड़े साक्ष्य का सैंपल संग्रह कर जांच के लिये मुजफ्फरपुर भेजती है। इसमें समय लग जाता था। समस्तीपुर पुलिस लाइन में एफएसएल भवन अगले कुछ महीनों में शुरू हो जाएगी। इससे समय की भी बचत होगी व केस निष्पादन में भी तेजी आएगी। हत्या, रेप, डकैती जैसे संगीन अपराध में कुशल और सटीक अनुसंधान के लिए एफएसएल की रिपोर्ट बेहद अहम होती है।
– सुनील कुमार सिंह, डीएसपी, पुलिस लाइन