समस्तीपुर :- स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े कई किस्से कई कहानियां हैं जिसे सुनने के बाद लोगों की छाती गर्व से चौड़ा हो जाता है। स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी एक कहानी जो समस्तीपुर से भी है जो वह काफी दिलचस्प है जिससे समस्तीपुर की नई पीढ़ी अंजान सी होने लगी है। लेकिन स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा यह वाकया युवा पीढ़ी में ऊर्जा भरने का काम करेगा और इसे जानना सिर्फ समस्तीपुर के युवाओं के लिए ही जरूरी नहीं, बल्कि पूरे देश को जानना चाहिए। आजादी के दीवानों ने जब ब्रिटिश शासक को उखाड़ फेंकने का शंखनाद किया तो दलसिंहसराय के वीर सपूत भी स्वतंत्रता संग्राम में कूद भारत माता को आजाद कराने में जुट गए।
स्वतंत्रता सेनानियों के वंशज से प्राप्त जानकारी के अनुसार आंदोलन की शुरुआत 9 अगस्त को ही दलसिंहसराय से शुरू हो गई थी। इसके बाद समस्तीपुर में शुरुआत हुई। सीएच स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों, देश रूपी दीवानों ने 13 अगस्त 1942 को ही दलसिंहसराय रेलवे स्टेशन पर तोड़फोड़ करते हुए लूटपाट की थी। तब कुछ छात्रों को ब्रिटिश पुलिस ने गिरफ्तार भी किया था।
इस घटना के विरोध में अगले दिन 14 अगस्त को ही जुलूस की शक्ल में देशभक्तों ने दलसिंहसराय थाना को घेराव कर डाला। घेराव करने वाले छात्र थे व उनकी उम्र कम थी। फलतः पुलिस ने उन्हें भगा दिया। तभी थाना से लौट रहे छात्रों की मुलाकात तत्कालीन बनरवा गाछी (वर्तमान सरदारगंज) इलाके में भजनगामा कर पहलवान राम लखन झा व मऊ के पहलवान योगी झा से हुई।
छात्रों ने जब उन्हें थाने से भगा देने की जानकारी दी तब दोनों पहलवान छात्रों को साथ लेकर पुनः थाना पहुंचे और मौजूद पुलिस पदाधिकारी से भीड़ गए। इसी बीच गोविंदपुर के परमेश्वरी महतो ने मौका पाकर थाने पर तिरंगा फहरा दिया। थाने पर तिरंगा फहराते देख पुलिस ने फायरिंग शुरू कर दिया। पुलिस की गोली लगने की वजह से तीन क्रन्तिकारियों की मौत मौके पर ही हो गई।
वहीं आधे दर्जन से अधिक क्रांतिकारी जख्मी हुए थे। घायलों में से भी चार क्रन्तिकारियों की मौत एक दो दिन के बाद हो गई। देश के लिए कुर्बानी देने वाली शहादत को दलसिंहसराय के वीर शहीदों की गाथा को पुराने लोग व इतिहासकार आज भी चर्चा करते नही थकते हैं। हालांकि नई पीढ़ी के युवा भारत माता के आजादी की कहानी से वाकिफ नही हैं।
दलसिंहसराय थाना पर तिरंगा फहराने में पुलिस की गोली से शहीद हुए क्रांतिकारी की पहचान स्व. परमेश्वरी महतो, दुर्गा पोद्दार, बंगाली दुसाध, स्व. जागेश्वर लाल, सरयुग कापर, अनुपम महतो के रूप में की गई थी।
वहीं एक अनुसूचित जाति का अज्ञात क्रांतिकारी जिसकी पहचान मौत के बाद भी नहीं हो सकी। आज भी अंचल कार्यालय परिसर में देश की आजादी में शामिल स्वतंत्रता सेनानियों के नाम शिलापट्ट पर स्वर्ण अक्षरों में लिखा हुआ है। थाना पर घेराव व पत्थरबाजी मामले में 15 अगस्त 1942 को कांड संख्या 9 दर्ज करते हुए मामले में 83 लोगों को आरोपित किया गया।
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