समस्तीपुर :- सूबे में मानसून की स्थिति कमजोर बनी हुई है। इसके प्रभाव से अधिकतम तापमान सामान्य से ऊपर बना हुआ है। रविवार को अधिकतम तापमान सामान्य से 2.4 डिग्री बढ़कर 35.2 डिग्री सेल्सियस रहा। जिसके कारण सुबह के समय 83 फीसदी आर्द्रता के बावजूद लोगों को दिन में उमस भरी गर्मी का एहसास हुआ।
बताया गया कि रविवार को मौसम विभाग की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार न्यूनतम तापमान सामान्य के बराबर रहते हुए 26 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। वहीं सापेक्ष आर्द्रता दोपहर में 61 फीसदी रही। जबकि 10.1 किमी की रफ्तार से पुरवा हवा चली। इधर रविवार तक राज्यभर में बारिश की कमी का आंकड़ा 43 प्रतिशत पर पहुंच गया है। शनिवार की रात और रविवार की सुबह तक दक्षिण मध्य बिहार में कई जगहों पर आंशिक बारिश हुई।
कायम है बारिश का इंतजार :
जिले में पिछले कई दिनों से बारिश का इंतजार कायम है। समस्तीपुर में दिनभर उमस की स्थिति बनी रह रही है। अगले 24 घंटे काफी संवेदनशील बताये जा रहे हैं। क्योंकि वर्षा के तो आसार नहीं हैं लेकिन आसमान में बादल रहेंगे और वज्रपात की काफी ज्यादा संभावना बनी हुई है। मौसम विभाग ने इसके लिए येलो अलर्ट जारी किया है।
अगले 24 घंटे भीषण गर्मी :
मौसम विभाग से मिली जानकारी के अनुसार अगले 24 घंटे भीषण गर्मी वाला होगा। आम जनजीवन अस्त व्यस्त होगा। कहीं-कहीं हल्की बूंदाबांदी के भी आसार हैं। ज्ञात हो कि पिछले एक सप्ताह से मानसून रूठ गया है। गर्मी बढ़ गई है। किसानों की मुश्किलें भी बढ़ गई है। धान रोपनी प्रभावित होकर रह गई है। जिस धान की पहले रोपनी हुई है उन खेतों में भी अब पटवन की जरूरत महसूस की जाने लगी है। मालूम हो कि मानसून के आगमन के बाद से अब तक दो महीने के दौरान मात्र 340 मिलीमीटर वर्षा हुई है, जो धान की खेती के लिए अपर्याप्त बताई जा रही है।
सावन में भी बारिश दे रही दगा :
लोगों को कहना है कि सावन का पहला – दूसरा रविवार उमसभरा बीता। लगा कि तीसरे रविवार को कुछ राहत मिलेगी, लेकिन मौसम की बेरूखी ऐसी रही की रविवार को गर्मी ने ऐसा बेहाल किया कि लोग पानी मांगते नजर आए।
भीषण गर्मी से कूलर ओर पंखे भी हांफ रहे :
इस दफा मौसम का मिजाज अलग है। सावन के महीने में जेठ जैसा पारा चढ़ा है। तेज धूप और उमस ने जीना मुहाल कर रखा है। घरों से निकले लोग पसीने से तर-बतर नजर आ रहे हैं तो कूलर और पंखे भी फेल हो चुके हैं। रविवार को हर किसी की जुबां पर भीषण गर्मी की ही चर्चा तैरती रही। सभी बारिश की उम्मीद में आसमान पर नजर टिकाए रहे मगर उमड़ते-घुमड़ते बादल अपना जोर नहीं दिखा सके।
इस बार मौसम का मिजाज समझ से परे :
मौसम के जानकारों के लिए भी इस बार मौसम का खेल समझ से परे है। मई से उतार चढ़ाव का जो सिलसिला शुरू हुआ, वह थमने का नाम नहीं ले रहा है। पहले मानसून लेट आया, फिर हवाओं ने अपना असर दिखाया। पश्चिम की हवाओं ने मानसून का बेड़ा गर्क कर दिया। आषाढ़ में कुछ दिनों की रिमझिम के बाद बादल हवा हो गए। इसके बाद यह हवाओं की लुकाछिपी शुरू हो गई। पूरब की हवा हावी होती है तो बादल दम दिखाते हैं, पर पछुआ आकर उन्हें उड़ा देती है। सावन से आस थी, पर वह भी सूखा बीता जा रहा है। 15 दिन से अधिक गुजर गए हैं, पर बादलों ने अपनी दस्तक समुचित तरीके से नहीं दी है।
हवाओं के खेल में बादल हुए फेल :
कूलर पंखे तो पूरी तरह असरहीन रहे। उमस से लोगों का पसीना सूखने का नाम नहीं ले रहा था। देर शाम आसमान में बादल छाए और हल्की हवा चली तो लगा कि मौसम बदलेगा, लेकिन कुछ ही देर में स्थिति बदलती नजर आई। मौसम विज्ञानिक बताते हैं कि हवाओं के खेल में बादल फेल हो गए हैं। अब सबकुछ हवाओं पर निर्भर है।
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